मन चंगा तो कठौती में गंगा...


       जी हाँ ! "मन चंगा तो कठौती में गंगा" यह कहावत आपने अनकों बार सुनी होगी, अलग-अलग स्थानों पर इसके अलग-अलग अर्थ भी रहे होंगे, किंतु शरीर स्वास्थ्य के मसले पर भी ये पूरी तरह से फिट बैठती है, कैसे-

       जब हम किसी भी कारण से क्रोध, तनाव, उदासी, चिडचिडाहट जैसी मनोदशा में होते हैं तो शरीर सम्बन्धित स्थितियों के मुताबिक रोगों की ओर स्वमेव आकृष्ट हो रहा होता है और इन मानसिक व्याधियों से शरीर को बचाने के लिये ही योग जगत में संतुष्टि, मुस्कराहट, हास्य जैसी स्थितियों को बढाने हेतु नाना प्रकार के उपाय किये जाते हैं जिनमें सबसे पावरफूल हास्य के लिये तो हर ओर बगीचों में सुबह की सैर व योग के दौरान हास्य क्लबों की भरमार भी दिखाई देती है । 


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       आईये जानने की कोशिश करें कि शरीर की कौनसी मनोदशा किन रोगों को बढावा देती है-

1.  एसिडिटी (अम्लता)- यह न केवल खान-पान सम्बन्धी त्रुटियों के कारण होती है बल्कि जब भी तनाव हमारे व्यक्तित्व पर हॉवी होता है तो शरीर स्वमेव अम्लता की गिरफ्त में जा रहा होता है । 

2.     उच्च रक्तचाप- यह न सिर्फ अधिक तेल व नमक युक्त पदार्थों के सेवन के कारण होता है बल्कि जब भी हम अपनी भावनाओं को सही समय पर सही प्रकार से संतुलित नहीं रख पाते हैं तो शरीर उच्च रक्तचाप की दिशा में बढने लगता है । 

3.     कोलेस्ट्रॉल- न सिर्फ अधिक घी, तेल व अन्य वसायुक्त पदार्थों के सेवन से होता है बल्कि आलसी व गतिहीन जीवनशैली शरीर को इस रोग की ओर ले जाती है ।

4.     अस्थमा (दमा)- यह न सिर्फ फेफडों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में व्यवधान के कारण होता है बल्कि प्रायः मानसिक उदासी के भाव भी फेफडों की कार्यक्षमता को अस्थिर बना देते हैं ।

5.     मधुमेह (शुगर)- यह न सिर्फ अधिक ग्लुकोज (मीठे व गरिष्ठ खाद्य पदार्थ) के सेवन से होता है बल्कि हमारा अडियल व स्वार्थी रवैया शरीर के अग्नाशय की कार्यप्रणाली को बाधित करता है और शरीर इस रोग की गिरफ्त में धंसता चला जाता है । यह भी देखें...सॉफ्टड्रिंक्स में समाई हुई डायबिटिज - धन्यवाद 

6.    पथरी- यह सिर्फ शरीर में अधिक केल्शियम व ऑक्सालेट की वृद्धि के कारण ही नहीं पनपती है बल्कि इन्हें हमारी घृणा व तिरस्कार जैसी भावनाएं अधिक तेज गति से विस्तारित करती हैं । देखिये...पथरी का उपचार... धन्यवाद.

7.    स्पोंडिलाईटिस (गर्दन व कमर के दर्द की व्याधि)- यह सिर्फ ग्रीवा विकार अथवा पीठ के L4 – L5 मनकों के अप्रत्याशित दबाव के कारण ही नहीं होता, बल्कि भविष्य के प्रति हमारी अत्यधिक चिंता व बेहद मानसिक दबाव के कारण भी होता है ।

       इसलिये स्वस्थ जीवन का आनंद लेने के लिये हमें हमें नित्य-प्रति सुबह के समय 40 से 60 मिनिट पैदल चलना या योग क्रिया प्राणायाम करना, अथवा जिम या स्विमिंग जैसी गतिविधियों को अनिवार्य रुप से अपनाकर अपने मन को अनावश्यक चिंता, विकार व बेमतलब के तनावों में उलझाने से बचाते हुए ही जीवन जीने का निरन्तर प्रयास करते रहना चाहिये । फिर आप भी यही कहते दिखेंगे कि मन चंगा तो कठौति में गंगा 

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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2 टिप्पणियाँ:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-11-2019) को      "गठबन्धन की नाव"   (चर्चा अंक- 3518)     पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  2. मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
    मैं भी ब्लॉगर हूँ
    मेरे ब्लॉग पर जाने के लिए
    यहां क्लिक करें:- आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया बंटवारा है !

    जवाब देंहटाएं

आपकी अमल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...

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