प्राय: पारिवारिक
पिकनिक पार्टी, मंदिर, बगीचे या ऐसे ही सार्वजनिक स्थानों पर समूह में बैठकर
या फिर अपने दैनिक जीवन में कचोरी-समौसे, पोहे, जलेबी, इमरती जैसी खाद्य सामग्री
बाजार में उपलब्ध न्यूज पेपर के टुकडों पर रखकर बेची हुई हम आसानी से खा लेते हैं,
लेकिन उन छपे हुए कागजों पर रखी गई गर्म व कुछ तरल खाद्य सामग्री उस प्रिंटिंग इंक
को भी अपने में समाहित कर लेती है जिससे वे छपते हैं और अनजाने ही हम उसके घातक केमिकल्स को भी अपने
शरीर में ग्रहण कर लेते हैं ।
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अगर आप किसी भी
रुप में अखबार पर रखे भोज्य पदार्थों को खाते हैं तो सावधान हो जाएं । क्योंकि
सुविधाजनक लगने वाली इस आदत से आप जानलेवा बीमारियों की गिरफ्त में आ सकते हैं । अखबार
के प्रकाशन हेतु जिस प्रिटिंग इंक का इस्तेमाल होता है उसकी मौजूदगी में यह भोजन अंशत: विषैला होता चलता है और इससे पेट में खराबी व इंफेक्शन की समस्या हो सकती है ।
अखबार में लपेटे हुए भोजन को व टीफिन
कैरियर में नीचे तले में रखे हुए पेपर के टुकडों को भूलकर भी पयोग में न आने दें ।
ये लापरवाही हमारे शरीर के सामान्य पोषण में बाधक तो बनती ही है साथ ही इसमें मौजूद
घातक केमिकल्स शरीर में जाकर मुंह व पेट के कैंसर का कारण भी देर-सवेर बन सकते हैं । यहाँ हमें यह भी समझ लेना चाहिये कि एल्युमिनियम फॉईल पेपर में पैक गर्म भोजन भी हमारे शरीर के पाचन संस्थान की सेहत
के लिये उतना ही घातक है ।
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अंत में यह जान लेना भी हमारे लिये उपयोगी होगा कि वर्ष 2016 में देश के खाद्य-सुरक्षा नियामक संस्थान FSSAI ने भी भोज्य पदार्थों को अखबार में लपेटकर खाने की आदत को खतरनाक बताकर आगाह करते हुए इसे जहरीला बताकर कहा था कि- अखबारों में रखे खाने के द्वारा लोगों के शरीर में कैंसर जैसे घातक रोगों के जहरीले तत्व पहुंच रहे हैं । अतः भूल से भी अपने खानपान में इस खतरनाक सुविधा को शामिल न होने दैं ।
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