कैंसर का सबसे आसान व महत्वपूर्ण कारण...


          एक 36 वर्षीय भाई को कैंसर हुआ, जो लास्ट स्टेज पर था । उन्होंने अपनी अब तक की उम्र में ना कभी गुटकाना सिगरेट और ना ही पान व शराब का सेवन किया था । समय पर काम पर जाना, परिवार के साथ खुश रहना, यही उनका जीवन थाना कोई  बिमारी और ना ही कोई चिन्ता उन्हें थी । सिर्फ दो-तीन दिन से पेट में दर्द शुरू होने के कारण डॉक्टर से सम्पर्क कर इलाज शुरू किया, परन्तु  कोई फायदा ना होने के कारण बडे डॉक्टर से मिले, वहां के डॉक्टर ने उनकी सभी रिपोर्ट्स निकलवाई तो पता चला कि उन्हें पेट के आंतड़ेियों में कैंसर हुआ है । 

          डॉक्टर द्वारा चिकित्सा की शुरूआत हुई, चिकित्सा के दरम्यान पूरी जमापूंजी के साथ  घर-बार भी बिक गया, परन्तु फिर भी उनकी मृत्यु हो गई ! डॉक्टर ने परिवार से इनका अग्नि संस्कार ना कर, मानव सेवार्थ बॉडी पर रिसर्च करने हेतु हॉस्पीटल मे डोनेट करने की सलाह दी, परिवार ने आपसी विचार-विमर्श के बाद बॉडी को हॉस्पीटल में रिसर्च करने हेतु डोनेट करने का निर्णय लेते हुए बॉडी हॉस्पीटल में डोनेट करदी ।

          रिसर्च के बाद पता चला कि प्लास्टिक में गरम खाना खाने से, उसमें से निकलने वाले केमिकल के कारण इन्हें कैंसर हुआ था, तब डॉक्टर द्वारा परिवार व साथियों से सम्पर्क कर उनके खान-पान के बारे में जांच की तो पता चला कि उन्हें चाय पीने की आदत थी । वे दिन में पांच से छ: कप चाय पीते थे । तब यह भी पता चला कि जहाँ से चाय पीते थे वहाँ प्लास्टिक के कप में चाय दी जाती है । तब डॉक्टर द्वारा उनके साथ काम करने वाले साथियों का भी मैडिकल टेस्ट कराया गया तो पता चला कि उनके कई साथियों पर भी कैंसर का असर है, तब डॉक्टर द्वारा उन्हें भी कैंसर के उपचार की सलाह दी गई । यह भी देखें- स्वास्थ्य के प्रति सजगता

          हम सोचते हैं कि सरकार स्वास्थ्य के साथ ही पर्यावरण के लिए भी घातक रुप से खतरनाक इस प्लास्टिक को निर्माण  करने की इजाजत कैसे दे देती है । जबकि सरकार प्लास्टिक का उपयोग ना करने के प्रचार पर भी करोडों रू. खर्च कर हमें समझाती है । परन्तु हम भी कहाँ समझते है, हम स्वंय भी तो अपना व अपने चाहने वालों को मौत की ओर ढकेलने का कार्य निर्भीक होकर कर रहे हैं, ना अपनी और ना ही अपने परिवार की हम चिन्ता कर हैं, बस मौत को  गले लगाने के लिए  हम सब भी आसान सुविधा की एक अंधी दौड में भाग रहे हैं ।

          अत: आपसे भी विनम्र निवेदन  है कि प्लास्टिक का उपयोग  जहाँ तक हो सके बंद करें और प्लास्टिक पैकिंग में रखा गरम खाना, विशेष रुप से प्लास्टिक के कप में दी गयी गर्म चाय-कॉफी तो हर्गिज-हर्गिज अपने पेट में न जाने दें ।

          उपरोक्त उदाहरण एक सत्य घटना के रुप में सामने आया है अतः इस पोस्ट  में प्रस्तुत जानकारी को न सिर्फ अपने व अपने परिवार के लिये खतरनाक चेतावनी के रुप में समझें बल्कि इसे अपने अधिक  से अधिक  मित्रों व परिचितों के साथ शेअर भी अवश्य करें ।

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Milan Tomic

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