स्वस्थ्य शरीर हम सभी की चाहत भी होती है और आवश्यकता भी । शरीर को स्वस्थ
रखने के लिये कब सोना-उठना,
क्या खाना-पीना, कितना
घूमना-फिरना व किस प्रकार योग-प्राणायाम व एक्सरसाईज करना ये जानकारी कमोबेश
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, ब्लॉग्स
व जानकारी के अन्य अनेकों माध्यमों से प्रायः हम सभी को मिलती ही रहती है किंतु इन
सबके बावजूद भी जब तक हमारे मन के सोचने व कुछ भी करने का तरीका सकारात्मक नहीं रह
पाता तब तक रोगों के आक्रमण हमारे शरीर पर होने का एक मार्ग तो बना ही रहता है । इसलिये यदि
हम फिट व स्वस्थ रहने के सामान्य प्रचलित उपायों के साथ इन कुछ और बातों को भी यदि
अपनी सोच और जीवनशैली में बनाये रखने का प्रयास कर सकें तो शरीर स्वास्थ्य की
बेहतरी हेतु एक और एक ग्यारह वाले परिणामों को भी प्राप्त करने का सफल प्रयास किया
जा सकता है । हमारे इन प्रयासों में मुख्य रुप से क्रियान्वय हेतु ये हैं...
1. प्रतिदिन 10 से 30 मिनट टहलने की आदत बनायें.
टहलते समय चेहरे पर मुस्कराहट रखें ।
2. प्रतिदिन कम से कम 10 मिनट चुप रहकर बैठें ।
3. पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा पुस्तकें पढ़ें ।
4. सीनियर सिटीजन की उम्र के बुजुर्गों और छोटे बच्चों के साथ भी कुछ समय व्यतीत करें ।
5. प्रतिदिन खूब पानी पियें ।
6. प्रतिदिन तीन लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करें ।
7. अनावश्यक बहस पर अपनी कीमती ऊर्जा बर्बाद न करें ।
8. अतीत के मुद्दों को भूल जायें, अतीत की गलतियों को अपने नियमित साथियों को याद न दिलायें ।
9. एहसास कीजिये कि जीवन एक स्कूल है और आप यहां सीखने के लिये आये हैं । जो समस्याएं आप यहाँ देखते हैं, वे पाठ्यक्रम का एक हिस्सा ही हैं ।
10. एक राजा की तरह नाश्ता, एक राजकुमार की तरह दोपहर का भोजन और एक भिखारी की तरह ही रात का खाना खाएँ ।
11. दूसरों से नफरत करने में अपना समय व ऊर्जा बर्बाद न करें. नफरत के लिए ये जीवन बहुत छोटा है ।
12. आपको हर बहस में जीतने की जरूरत नहीं है, असहमति पर भी अपनी सहमति दें ।
13. अपने जीवन की तुलना दूसरों से न करें ।
14. गल्ति के लिये गल्ति करने वाले को माफ करना सीखें ।
15. ये सोचना आपका काम नहीं कि दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं ।
16. समय सब घाव भर देता है ।
17. ईर्ष्या करना समय की बर्बादी है, जरूरत का सब कुछ आपके पास है ।
18. प्रतिदिन दूसरों का कुछ भला करने का प्रयास करें ।
19. जब आप सुबह जागें तो अपने माता-पिता को धन्यवाद दें, क्योंकि माता-पिता की कुशल परवरिश के कारण ही आप इस दुनियां में हैं ।
ये सभी हमारे मन से जुडे ऐसे अहसास हैं जो अन्य लोगों की हमारे प्रति
नेक भावना बनवाने के साथ ही हमें अपने आप को भी स्वस्थ व प्रसन्न बने रहने में
सहायक ही साबित होंगी ।
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