बेहतर स्वास्थ्य की संजीवनी- त्रिफला चूर्ण


      
     अधिकांश लोग त्रिफला को इस रुप में तो जानते ही हैं कि पोली हरड, बहेडा व आंवला के सूखे फलों के पिसे मिश्रण के मिक्स चूर्ण को त्रिफला चूर्ण कहते हैं और यह पेट साफ करने अथवा कब्ज के रोग को दूर करने हेतु उपयोगी होता है  किन्तु इस चूर्ण की यह जानकारी बेहद अधूरी है । यदि हरड 100 ग्राम, बहेडा 200 ग्राम और आंवला 400 ग्राम को अलग-अलग पिसकर चूर्ण बनावें व इसे मिक्स करके मैदा छानने की चल्नी से तीन बार छान कर इस प्रकार से तैयार चूर्ण को इसके एक और मौसम से जुडे अनुपान द्रव्य के साथ मिलाकर प्रतिदिन प्रातःकाल नियमित सेवन किया जावे तो सेवनकर्ता के शरीर से किसी भी प्रकार की बीमारी कोसों दूर ही रहती है । पहले इसमें मौसम के अनुसार मिलाये जाने वाले अनुपान द्रव्य के बारे में समझा जावे-


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14 जनवरी से 13 मार्च तक (शिशिर ऋतु) में 
लेंडी पीपल का चूर्ण मात्रा का आठवां हिस्सा.

14
मार्च से 13 मई तक (वसन्त ऋतु) में 
शहद चटनी जैसा मिश्रण उत्तम

14
मई से 13 जुलाई तक (ग्रीष्म ऋतु) में 
गुड चौथा हिस्सा

14
जुलाई से 13 सितंबर ( वर्षा ऋतु ) में 
सेंधा नमक छठा हिस्सा

14
सितंबर से 13 नवंबर (शरद ऋतु) में 
देशी खांड/शक्कर बुरा छठा हिस्सा

14
नवंबर से 13 जनवरी (हेमन्त ऋतु) में 
सौंठ का चूर्ण छठा हिस्सा
                   उपरोक्त अनुपात में त्रिफला चूर्ण में मिलाकर सुबह सामान्य फ्रेश होने के बाद खाली पेट 20 से 40 वर्ष की उम्र में चाय का एक चम्मच, (लगभग 5 ग्राम) व इससे अधिक उम्र में 1+ 1/2 चम्मच मात्रा में यह चूर्ण आधा कटोरी पानी में उपरोक्त अनुपान द्रव्य के साथ मिलाकर पी लेना चाहिये व इसके एक घंटे बाद तक चाय-दूध नहीं लेना चाहिये । यह त्रिफला चूर्ण चार महिने के बाद प्रभावहीन हो जाता है और इसमें गुठिलयां सी बनने लगती हैं अतः पूर्ण लाभ प्राप्ति के लिये बाजार से तैयार त्रिफला चूर्ण खरीदने की बजाय इसे सीमित मात्रा में घर पर ही मिक्सर में पीसकर तैयार करें, व सीलन से बचाते हुए तीन महीने में समाप्त कर पुनः नया चूर्ण बनालें । इसके सेवन करने पर आपको एक या दो बार पतले दस्त लगते हुए महसूस हो सकते हैं । अधिक सुविधा के लिये आप इस मिश्रण को रात्रि में कटोरी में घोलकर रखदें व सुबह 5 से 7 बजे तक के समयकाल में सेवन करलें । यदि कोई भी व्यक्ति इस तरीके से इस चूर्ण का लगातार 12 वर्ष तक सेवन कर सके तो माना जाता है कि- 

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       एक वर्ष तक लगातार सेवन करने से सुस्ती गायब हो जाती है । दो वर्ष तक सेवन करने से शरीर के सब रोग दूर हो जाते हैं । तीन वर्ष तक सेवन करने से नेत्र-ज्योति बढती है । चार वर्ष तक सेवन करने से चेहरे पर अपूर्व सौंदर्य छा जाता है । पांच वर्ष तक सेवन करने से बुद्धि का जबर्दस्त विकास होता है । छः वर्ष तक सेवन करने से शरीर बल में पर्याप्त वृद्धि होती है । सात वर्ष तक सेवन करने से सफेद बाल फिर से काले हो जाते हैं । आठ वर्ष तक सेवन करने से वृद्ध व्यक्ति पुनः युवा हो जाता है । नौ वर्ष तक सेवन करने से दिन में भी तारे स्पष्ट दिखने लगते हैं । दस वर्ष तक सेवन करने से कण्ठ में सरस्वती का वास हो जाता है । ग्यारह वर्ष तक सेवन करने से वचनसिद्धि प्राप्त हो जाती है अर्थात व्यक्ति जो भी कहे उसकी बात खाली नहीं जाती बल्कि सत्य सिद्ध होती है । लेखक ने इस बात को कविता के रुप में इस प्रकार कहा है-

प्रथम वर्ष तन सुस्ती जावेद्वितीय रोग सर्व मिट जावे.
तृतीय नैन बहु ज्योति समावेचौथे सुन्दरताई आवे.
पंचम वर्ष बुद्धि अधिकाईषष्ठम महाबली होई जाई.
केश श्वेत श्याम होय सप्तमवृद्ध तन तरुण होई पुनि अष्टम.
दिन में तारे दिखे सहीनवम़ वर्ष फल अस्तुत कही.
दशम शारदा कण्ठ विराजेअंधकार हिरदे का भागे,
जो एकादश, द्वादश खायेताको वचन सिद्ध हो जाये ।

        निश्चय ही सुनने में यह अतिशयोक्तिपूर्ण लगता है । शायद ऐसा पूरी तरह से नहीं भी हो पाता हो, किन्तु हमारे शरीर को जो लाभ इसके सेवन से मिलते हैं वे शरीर को नियमित तौर पर स्वस्थ रखने के लिये इतने पर्याप्त तो होते हैं कि सामान्य तौर पर हमारा शरीर लम्बे समय तक हर प्रकार के रोगों से मुक्त रहता है ।

        इसका एक उदाहरण तो मेरे अपने परिवार में मेरे बडे भाई साहेब श्री महेन्द्र बाकलीवाल का ही है जिन्होंने लगभग 15 वर्ष पूर्व तक इसे इसी रुप में सेवन करते हुए अपने 12 वर्ष के सेवनकाल की अवधि को पूर्ण किया था । तत्पश्चात वर्तमान में वे 80-81 वर्ष की उम्र में भी पूर्णतः निरोग अवस्था में अकेले बम्बई जैसे महानगर में रहकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं जहाँ एक गिलास पानी भी यदि उन्हें पीना है तो देने वाला कोई नहीं है, उनकी धर्मपत्नि का स्वर्गवास हो चुका है और विवाहित पुत्र-पुत्रियां अलग-अलग शहरों में अपने परिवार के साथ रहते हैं ।
 
          मैं स्वयं इसे नियमपूर्वक कभी नहीं ले पाया किन्तु अनियिमत क्रम में सुबह एक बार की चाय पीने के बाद इसका सेवन यदा-कदा करता रहा हूँ और पिछले 49 वर्षों से बेहद अनियमित जीवन जीते रहने के बाद भी 67 वर्ष की उम्र में अब तक तो किसी भी प्रकार की बीमारी के आक्रमण से मुक्त चल रहा हूँ ।
 
       अतः यदि आप भी इसे किसी भी उम्र में व किसी भी शेडयूल (नियमित या टूटते हुए क्रम) में लेना प्रारम्भ करेंगे तो इसके पर्याप्त लाभ आपको अवश्य मिलेंगे जो आपके शरीर को बीमारियों से दूर रखने में हर तरह से मददगार साबित हो सकेंगे ।

(जानकारी- स्वदेशी चिकित्सा सार से साभार)

        शरीर-स्वास्थ्य से सम्बन्धित नवीनतम जानकारियों के लिये हमारे नये ब्लॉग स्वास्थ्य सुख  को भी आप इसी लिंक पर क्लिक कर अवश्य देखें...
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Milan Tomic

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14 टिप्पणियाँ:

  1. सुन्दर, स्वस्थ व सेहत से भरपूर जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
    उम्मीद करते है और ज्यादा जानकारी इसी तरह से हमारे बिच बांटते रहेंगे |
    आपका इस अनोखी दुनिया में बहुत बहुत स्वागत !

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  2. Bahut hi achhi jankari..... Aj ke samay me aapka blog bahut upyogi jankari dene wala hai... abhar

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  3. १२ वर्ष तक लेने के बाद भी त्रिफला लेना क्या ठीक है? यदि आप अनुभवी आयुर्वद परामर्शदाता हों तो अपना निष्कर्ष सूचित कर अनुग्रहित करें. - श्याम बियानी

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  4. इस पोस्ट में उल्लेखित मेरे बडे भाई साहेब ने 12 वर्ष पूर्ण हो चुकने पर करीब 6-7 वर्ष पूर्व त्रिफला लेना बन्द कर दिया था और आज तक तो वे चुस्त-दुरुस्त व फीट हैं ।

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  5. bahut upyogi post shree maan .kintu mera prashn hai ki kya trifla choorn BHOR KI BAJAAY RATREE ME nahi le saktay ?

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  6. अगर आप ये योग गायत्री हवन के साथ करे तो ...................

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  7. बहुत बहुत धन्यवाद

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  8. सर अपने कहा त्रिफला सुबह फ्रेश होने के बाद खली पेट खाना चाइये लेकिन फ्रेश होने से पहले जो पानी पीते है क्या वह पी सकते हैं। यदि हा तो कितनी मात्रा में किर्पया बतायें।

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  9. Thanks for Sharing useful information with us. Triphala is very powerful herb which is consist of combination of three herbs like amalaki, haritaki, bibhitaki etc.To know more about Triphala herb visit on our website http://www.planetayurveda.com/tripahala.htm

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  10. महर्षि वाग्भट के अनुसार रात्रि में रेचक है सुबह पोषक है ।पृथ्वी का अमृत फल त्रिफला

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आपकी अमल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...

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