असुरक्षित यौन-संबंधों में लिप्त व्यक्तियों के लिये खतरनाक : HPV वायरस

असुरक्षित यौन-संबंधों से फैलने वाला वायरस
                                                            एचपीवी वायरस का खतरा    

       वे सभी स्त्री-पुरुष जो विवाहेतर शारीरिक सम्बन्धों में रुचिपूर्वक संलग्न रहते हैं वे एक विशेष HPV यानि ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के दायरे में रहते हैं । यह एक खतरनाक और तेजी से फैलने वाला ऐसा वायरस है जिसके अधिकांश मामलों में इससे होने वाली किसी भी बीमारी के कोई पूर्व लक्षण संक्रमित व्यक्ति को मालूम नहीं हो पाते जिसके कारण प्रभावित व्यक्ति को न तो स्वयं के रोग का पता चल पाता है और न ही वो ये जान पाता है कि उसके द्वारा ये बीमारी उसके पार्टनर को भी हो रही है । अतः HPV वायरस कैसे फैलता है और इससे कैसे बचा जा सकता है ये जानना सामान्य समझ के लिये भी जरूरी है ।


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      यह वायरस यौनांग और गुदा की त्वचा के एक-दूसरे के संपर्क में आने पर फैलता है । ये जरूरी नहीं है कि पूर्ण संभोग (सेक्सुअल पेनेट्रेशन) होने पर ही दो व्यक्तियों के बीच यह वायरस फैले, कई बार सिर्फ आपसी घर्षण ही इसके फैलाव के लिये पर्याप्त होता है । इसके साथ ही यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि असुरक्षित सेक्स गतिविधियों व ओरल सेक्स के दौरान यदि कंडोम का उपयोग किया जाए तो इस वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है ।

HPV वायरस के बारे में जानने योग्य...

       यौन रूप से सक्रिय 80% स्त्री-पुरुष प्रायः इससे संक्रमित होते हैं । यूके पब्लिक हेल्थ सर्विस एनएचएस और अमेरिकी एसोशिएशन ऑफ सेक्सुअल हेल्थ इसकी पुष्टि करते हैं । अमेरीका में यौन रूप से फैलने वाली यह सबसे आम बीमारी है । जामा ऑंकोलोजी पत्रिका में छपे राष्ट्रीय सर्वे के मुताबिक ऐसे सेक्स में शामिल 2000 में से आधे पुरुषों को यह संक्रमण पाया गया था ।

HPV वायरस से कैंसर के खतरे-

           HPV वायरस से 6 तरह के कैंसर हो सकते हैं । NHS की जानकारी के मुताबिक यह वायरस गर्भाशय कैंसर के लिए 99 प्रतिशत गुदा कैंसर के लिए 84 प्रतिशत और लिंग कैंसर के लिए 47 प्रतिशत जिम्मेदार होता है । इसके अलावा इसके संक्रमण से योनिमुख योनि गले और मुंह का कैंसर भी होता है ।

एचपीवी वायरस से प्रभावित रोग


        HPV वायरस की सौ के लगभग किस्में पाई गई हैं । जिनमें से 30 किस्में प्रजनन अंगों को प्रभावित करती हैं । इनमें HPV-16 और HPV-18 वायरस सबसे अधिक खतरनाक होते हैं । ये गर्भाशय कैंसर के लिए 70 प्रतिशत से अधिक जिम्मेदार होता है । अधिकांश लोग कभी ना कभी HPV से संक्रमित होते हैं,  लेकिन सामायतः उनका प्रतिरक्षा तंत्र इस वायरस से उनकी रक्षा कर लेता है 

            HPV संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिखते,  इसलिए इसका पता लगाना आसान नहीं रहता । आवश्यकता के समय महिलाओं में उनके गर्भाशय की कोशिकाओं के नमूने की जांच करके उनमें HPV संक्रमण का पता लगाया जाता है । इसके लिए दो तरह की जांच की जाती है पहली वजाईनल साइटोलॉजी यानी कोशिय जांच और दूसरी पेप टेस्ट या पेपनिकोलाई जांच । जबकि पुरुषों में इस वायरस के संक्रमण का पता लगाने का कोई विश्वसनीय तरीका उपलब्ध नहीं दिखता 

           NHS के मुताबिक,  फिलहाल HPV संक्रमण का पता लगाने का कोई ऐसा तरीका नहीं है जिस पर भरोसा किया जा सके । इस वायरस के कोई लक्षण नहीं मिलने के कारण इसके इलाज में बहुत दिक्कतें आ रही हैं । किसी व्यक्ति के गुदा मार्ग में HPV संक्रमण होने का अंदेशा यदि लगे तो इसका पता लगाने के लिए एनल साइटोलोजी यानी गुदा कोशीय जांच की जाती है ।

     एक और जरूरी बात ये कि वैसे तो HPV संक्रमण का कोई इलाज नहीं है, किंतु यदि इसका पता लग जाए  तो इसके असर को ठीक किया जा सकता है। अधिकांश HPV संक्रमण कोई गंभीर नुकसान नहीं करते और ये 'दो साल की अवधि में  खुद ही खत्म हो जाते हैं । संक्रमण के दौरान यदि यौनांग में एकाधिक गठान हो गई हो तो उन्हें क्रीममलहम या रसायन चिकित्सा से ठीक किया जा सकता है । आवश्यकतानुसार इन गांठों को फ्रीजिंग या बर्निंग से भी हटाया जाता है ।

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       महिलाओं में यदि HPV संक्रमण लगातार बना रहे तो इससे गर्भाशय की कोशिकाओं में बदलाव का खतरा इतना गंभीर हो जाता है कि उन्हें गर्भाशय कैंसर की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है । गर्भाशय में यदि असामान्य कोशिकाएं पनप रही हैं तो समय रहते उनका पता लगाकर इलाज किया जा सकता है । इससे बचाव के संदर्भ में जानकारों का सुझाव है कि महिलाओं को नियमित रूप से पेप टेस्ट करवाते रहना चाहिए । NHS के मुताबिक गर्भाशय कैंसर के 99 प्रतिशत मामले HPV के कारण पैदा होते हैं । जबकि HPV से जुड़े दूसरे कैंसर जैसे कि मुंह गला और पुरुष जननांग कैंसर आमतौर पर अपने शुरुआती चरण में किसी तरह के लक्षण नहीं दिखाते । 

       इस वायरस से बचाव के संदर्भ में जानने योग्य यह है कि युवाओं के लिए HPV वायरस से बचने के ऐसे टीके बाजार में उपलब्ध हैं  जो इनमें से कई बेहद गंभीर एचपीवी-16 और एचपीवी-18 वायरस से बचाते हैं । एक सबसे नया टीका एचपीवी से जुड़े कैंसर से 90 प्रतिशत तक बचाता है । कई देशों में वहाँ की सरकार समय-समय पर अपने देश की किशोरियों को ये टीके उपलब्ध कराती हैं  ।

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Milan Tomic

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