आरोग्यवर्द्धक तुलसी


    भारतीय घरों में यह एकमात्र ऐसा सुपरिचित दिव्य पौधा है जिसे इसकी धार्मिक महिमा और सर्वसुलभता के कारण बचपन से ही हम इसे अपने इर्दगिर्द देखना प्रारम्भ कर देते हैं । हिन्दू धर्म में मंदिर में पूजा व प्रशाद में तो इसका प्रयोग हम निरन्तर देखते ही हैं किन्तु इसके अलावा भी यह औषधिय व प्राकृतिक गुणों का भण्डार है । फेंगशुई मत के मुताबिक तुलसी की घर-आंगन में मौजूदगी से वह घर सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से मुक्त रहता है । तुलसी का पौधा आंगन में लगाने से वातावरण शुद्ध रहता है, मच्छर नहीं आते हैं, व्यायाम करते समय श्वसन क्रिया बढ जाने पर इसकी वहाँ मौजूदगी में हमें अतिरिक्त प्राणवायु की प्राप्ति होती है इसीलिये बाबा रामदेव जैसे विख्यात लोग भी नित्य सुबह मंच पर इसकी मौजूदगी में ही अपना यौगिक अभ्यास करते हैं ।


      औषधिय गुणों के हिसाब से तुलसी-  रस में तिक्त, अंशतः कटु, पचने में हल्की गर्म, रुक्ष, कफ-वात नाशक, रुचि व पाचन क्रिया को बढाने वाली, सुगंधित, सात्विक और कृमि दुर्गंध का नाश करने वाली होती है । तुलसी के सेवन से अरुचि, बुखार, कूकर खांसी, और दमे के उपचार में विशेष लाभ होता है और खांसी, शूल और उल्टी की समस्या भी इसकी सेवन से प्रभावशाली तरीके से दूर की जा सकती है । इसके अतिरिक्त आधासीसी सिरदर्द, कानों से पीप निकलना, मुँह की दुर्गंध, कृमि, और सीने के दर्द के उपचार में भी तुलसी का प्रयोग किया जाता है । 
   
     
      सर्दी के मौसम में अदरक और तुलसी के रस में शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से शरीर को अच्छे परिणाम मिलते हैं । खांसी में काली तुलसी के रस में बराबर का शहद मिलाकर सेवन करने से खाँसी की समस्या दूर होती है । कान से दुर्गंधकारी पीब निकलने की समस्या में सिर्फ तुलसी पत्ते के रस डालने से उपचार हो जाता है । किन्तु समस्या यदि ज्यादा गम्भीर होती है तो तुलसी पत्तों के रस में सरसों का तेल मिलाकर व पकाकर उसकी कुछ बूंदें कान में डालने की सलाह इसके जानकार देते हैं । बुखार की किसी भी समस्या का उपचार करने के लिये आधा ग्राम त्रिभुवन कीर्ति रस के साथ दो चम्मच तुलसी और अदरक का रस सममात्रा में मिलाकर रोगी को पिलाया जा सकता है । दमे के आक्रमण का उपचार करने के लिये तुलसी की पांच ग्राम के करीब मंजरियां (फूल) लेकर उससे दुगनी मात्रा में उसमें सोंठ मिलावें और उसका काढा बनाकर (100 ग्राम जल 25 ग्राम रह जावे इतना उबालकर) ठण्डा होने पर उसमें शहद मिलाकर दो-तीन बार पीएँ । यदि मुंह से दुर्गंध आती हो तो प्रतिदिन तुलसी की 25 पत्तियां चबाकर खा लेने की आदत से मुख की दुर्गंध समाप्त हो जाती है । 

तुलसी के पुंस्त्व में बढोतरी हेतु गुणकारी उपचार...
 
पुरुष वर्ग में...
      नपुंसकता, शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी - तुलसी के 5 ग्राम बीज रोजाना रात को गर्म दूध (अनुकूल न लगे तो पानी) के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरी होती है। पहले किंतु सिर्फ एक ग्राम तुलसी फूल (मंजरी) लेने से शुरुआत करें और प्रतिदिन एक-एक ग्राम बढाते हुए पांचवें दिन से पांच ग्राम की मात्रा को नियमित करें ।

महिला वर्ग में...
      मासिक धर्म में अनियमियता - जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती है ।

     
      तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर इसके बीज शीतल प्रवृत्ति के होते हैं इनका उपयोग फालूदा बनाने में भी किया जाता है । इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है । इसे दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां डाल कर पिया जावे तो यह गर्मी में बहुत ठंडक भी देता है । .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है । .यह पित्त घटाता है और त्रीदोषनाशक, क्षुधावर्धक होता है ।

    तुलसी की क्यारी या गमले में जब भी बहुत सारे (फूल) मंजरियां लग जावें तो उन्हें पकने पर तोड़ ही लेना चाहिए वरना तुलसी के पौधे में चीटियाँ और कीड़ें लग जाते है और उसे समाप्त कर देते है । इन पकी हुई मंजरियों से काले रंग के बीज निकलते हैं उसे एकत्र कर ले ।  स्त्री-पुरुषों के पुंसत्व से संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु यह पूर्ण असरकारक माना जाता है और ये बाजार में पंसारी या आयुर्वैदिक दवाईयो की दुकान पर भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है ।



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Milan Tomic

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5 टिप्पणियाँ:

  1. एक तुलसी का ही पौधा ऐसा है जिसे गांव के आंगन से लेकर शहर के फ़्लैटों की बालकनी और टैरेस में समान रूप से देखा और पाया है । इसके धार्मिक महत्व के इतर इसकी औषिधीय खूबियां तो जैसे सोने पर सुगंध हो । बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने । शुक्रिया और आभार ।

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  2. बेहतरीन रचना
    पधारें "आँसुओं के मोती"

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  3. Tulsi ak wardan hai hamare liye .
    Upyogi gankari ke liye dhanyawad ...

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आपकी अमल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...

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