कलाई (हाथ) का दर्द...

       इसी ब्लाग की 29 अप्रेल 2011 की पोस्ट : हठीला दुष्ट रोग सायटिका (गृद्धसी) की टिप्पणी पर-  

श्री राज भाटियाजी का प्रश्न-

       बहुत सुंदर जानकारी, मेरी बीबी की कलाई मे पिछले १५,२० दिनो से भयंकर दर्द चल रहा हे, जो हड्डी मे नही, हाथ के अंगुठे के पीछे जहां कलाई शुरु होती हे वहां हे, डा० को दिखा दिया, इलाज चल रहा हे, लेकिन आराम नही आया, डा० का कहना हे कि एक महीना लगेगा, आप कुछ बताये?

उत्तर-

सम्माननीय श्री राज भाटियाजी सा.,

        आपके प्रश्न के सन्दर्भ में फिलहाल जो उपाय मुझे समझ में आ रहा है उसके मुताबिक योग की छोटी सी क्रिया का यदि भाभीजी दिन में लगभग 3 बार अभ्यास करें तो उन्हें अधिक राहत मिल सकती है । वीडियो उपलब्ध नहीं है और मुझे पोस्ट पर उसे लगाना अभी आता भी नहीं है इसलिये लिखकर ही बताने का प्रयास कर रहा हूँ-

        1. दुख रही कलाई की मुट्ठी बन्द करके बार-बार अंगूठे को खोलें व बन्द करें, फिर इसी अंगूठे को गोल घुमावें दांए से बांई ओर व बांए से दांई ओर समान मात्रा में क्लाकवाइज व एंटीक्लाकवाइज  (लगभग 10 से 40 बार तक प्रत्येक बार) सुबह, दोपहर फिर रात्रि में.

        2. कोहनी के नीचे तह किया हुआ टौलिया रखकर टेबल पर आरामदायक स्थिति में कोहनी टिकाकर या कोहनी के नीचे दूसरी हथेली का सहारा देकर कलाई के जोड से हथेली उपर व नीचे बार-बार करें, फिर हथेली की मुट्ठी बांधकर उपर नीचे करें, फिर मुट्ठी बंधी हुई अवस्था में गोल वृत्ताकार में घुमाएँ, दांए से बांई ओर व बांए से दांई ओर समान मात्रा में क्लाकवाइज व एंटीक्लाकवाइज (लगभग 10 से 40 बार तक प्रत्येक बार) सुबह, दोपहर फिर रात्रि में । इन दोनों अभ्यासों की शुरुआत कम मात्रा से करते हुए धीरे-धीरे बढावें ।

        इस प्रक्रिया से जो मूमेंट भाभीजी की कलाई व अंगूठे के जोड के पीछे उन्हें मिलेगा उससे सम्बन्धित नस में हो रही किसी भी प्रकार की रक्त पूर्ति की बाधा दूर हो सकने में मदद मिलेगी व स्थाई रुप से कलाई बिना दर्द के अपने स्वाभाविक स्थिति में आ पावेगी । तब तक-

        3. यदि आपके उधर महानारायण तेल मिल सके तो उसे लाकर दर्द वाले स्थान पर हल्के हाथ से उसे आहिस्ता आहिस्ता मसाज रुप में लगावे, जोर लगाकर मसलना नहीं है । यदि महानारायण तेल उपलब्ध न हो सके तो 250 ग्राम सरसों के तेल में 50ग्राम छिली हुई लहसुन की कलियां डालकर आंच पर तब तक उसे गर्म करें जब तक की लहसुन की ये कलियां जलकर काली न पड जावें । पश्चात् तेल को आंच से उतारकर ठंडा होने पर उसे छानकर इस तेल का महानारायण तेल जैसा प्रयोग करें । (यह तेल बाद में भी जोडों के या अंदरुनी शारीरिक दर्द में काम आता रहेगा)

        4. तेज दर्द की स्थिति में न्यूनतम मात्रा में काम्बिफ्लेम या इस जैसी दर्द निवारक गोली लेने में भी परहेज न करें ।

        उम्मीद है कि दो दिन बाद से ही सुधार दिखते हुए लगभग एक सप्ताह के अभ्यास में भाभीजी को कलाई के इस दर्द से स्थाई आराम मिल सकेगा ।   

शुभकामनाओं सहित...
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Milan Tomic

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10 टिप्पणियाँ:

  1. सुशील जी आप का धन्यवाद इस उपाय को बताने के लिये, हम अभी से इसे शुरु करते हे, बीबी किसी तरह से काम तो कर रही हे लेकिन तकलीफ़ बहुत हे, शायद आराम आ जाये, आप का हमारी दोनो की तरफ़ से फ़िर से धन्यवाद,
    अगर विडियो किल्प डालाना पोस्ट मे नही आया तो बताये, मै इस बारे आप की मदद करुंगा, यह बहुत आसान हे, शायद मैने किसी पोस्ट मे इस का जिक्र भी किया हे.

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  2. धन्यवाद इस उपाय को बताने के लिये...

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  3. ब्लाग तो बहुत से लोग लिखते हैं पर आप जैसे परहितकारी विरले ही है आपको कोटी कोटी साधुवाद

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  4. श्रीमान जी, मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.

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  5. ये ब्लॉग तो बहुत उपयोगी है भाई.आभार आपका.

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  6. श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी कल ही लगाये है. इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.

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  7. सर मुझे 3 साल पहले लोगों को फेस करने की परेशानी शुरू हुई , में जब भी अपने घर से बाहर निकलती हूँ। तो मुझे लगता है की सब मुझे ही देख रहे है और मेरे चेहरे की प्रतिक्रियाओं पर ध्यान दे रहे है। में जब भी किसी से बात करती हूँ और बात करते समय सामने वाला मेरे चेहरे की तरफ देख रहा है तो में अपने चेहरे की प्रतिक्रिया को सामान्य रखने में असमर्थ होती हूँ। मेरा चेहरा रोने जैसा हो जाता है।

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  8. सर मुझे 3 साल पहले लोगों को फेस करने की परेशानी शुरू हुई , में जब भी अपने घर से बाहर निकलती हूँ। तो मुझे लगता है की सब मुझे ही देख रहे है और मेरे चेहरे की प्रतिक्रियाओं पर ध्यान दे रहे है। में जब भी किसी से बात करती हूँ और बात करते समय सामने वाला मेरे चेहरे की तरफ देख रहा है तो में अपने चेहरे की प्रतिक्रिया को सामान्य रखने में असमर्थ होती हूँ। मेरा चेहरा रोने जैसा हो जाता है।

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आपकी अमल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...

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