शीर्षक देखकर आप ये न समझें कि
ये सिर्फ वृद्धावस्था की ही समस्याएँ हैं बल्कि ये बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी को परेशान
करने वाली ऐसी समस्या है जिसमें पैरों में विशेषकर पिंडलियों में दर्द रहना, चलने में थकान महसूस करना, हाथ-पैर में सुन्नता महसूस करना, हाथ कांपना व शरीर का अत्यधिक
दुबला-पतला व कमजोर होना जैसी समस्याएँ शामिल होती हैं, इसके उपचार हेतु असगंध व आमलकी रसायन के मिश्रण से बने
चूर्ण का सेवन न सिर्फ बहुत सरल व सस्ता बल्कि अत्यधिक गुणकारी नुस्खा साबित होता
है-
असगन्ध- इसका स्वाद कसैला/कडवा होता है । इसकी जड ही काम में ली जाती है और इसमें घोडे के शरीर के समान गन्ध पाई जाती है । शायद इसीलिये इसे (अश्र्व) असगन्ध कहा जाता है । यह आपको किसी भी जडी-बूटी विक्रेता के यहाँ मिल सकता है । उपरोक्त उपचार हेतु इसके चूर्ण की आवश्यकता होती है । अतः यदि बाजार से चूर्ण तैयार मिल जावे तो अति उत्तम, अन्यथा आप इसे जड रुप में खरीदकर घर पर इसका कूट-पीसकर 100 ग्राम के लगभग बारीक (महीन) चूर्ण बना लें ।
असगन्ध- इसका स्वाद कसैला/कडवा होता है । इसकी जड ही काम में ली जाती है और इसमें घोडे के शरीर के समान गन्ध पाई जाती है । शायद इसीलिये इसे (अश्र्व) असगन्ध कहा जाता है । यह आपको किसी भी जडी-बूटी विक्रेता के यहाँ मिल सकता है । उपरोक्त उपचार हेतु इसके चूर्ण की आवश्यकता होती है । अतः यदि बाजार से चूर्ण तैयार मिल जावे तो अति उत्तम, अन्यथा आप इसे जड रुप में खरीदकर घर पर इसका कूट-पीसकर 100 ग्राम के लगभग बारीक (महीन) चूर्ण बना लें ।
Read Also
आमलकी रसायन- आंवले के चूर्ण में आंवले का ही
इतना ताजा रस मिलाया जाता है कि चूर्ण करीब-करीब रोटी के लिये उसने हुए आटे से भी
कुछ अधिक नरम हो जाता है इसे आयुर्वेद की भाषा में भावना देना कहते हैं । फिर इस
रस मिश्रीत चूर्ण को सुखाया जाता है । सूख चुकने पर पुनः इसी प्रकार से इसमें
आंवले के ताजे रस की भावना दी जाती है और फिर इसे सुखाया जाता है । इस प्रकार इस
चूर्ण में 11 बार आंवले के रस की भावना दी जाती है और हर बार इसे सुखाया जाता है
। 11 भावना के पूर्ण हो चुकने पर इसी चूर्ण को आमलकी रसायन कहा जाता है
। ये परिचय यहाँ सिर्फ आपकी जानकारी के लिये प्रस्तुत किया गया है बाकि तो आप इसे
किसी भी प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक औषधि निर्माता कम्पनी का बना हुआ तैयार आमलकी रसायन बाजार से 100 ग्राम मात्रा की पेकिंग में
खरीदकर काम में ले सकते हैं ।
यदि आप शहद न लेना चाहें तो मिश्री की चाशनी इतनी मात्रा में बनाकर रखलें जितनी 8-10 दिन में समाप्त की जा सके । इस चाशनी में 4-5 इलायची के दाने भी पीसकर डाल दें और इस चाशनी के साथ असगन्ध व आमलकी रसायन का यह चूर्ण उपरोक्तानुसार सेवन करें । लेकिन शुगर (मधुमेह) के रोगियों को इसे चाशनी की बजाय शहद मिलाकर ही लेना उपयुक्त होता है ।
इसके नियमित सेवन से उपरोक्त वर्णित शिकायतें दूर होने के साथ ही शरीर सबल, शक्तिशाली व सुडौल होता जाता है । पिचके गाल भर जाते हैं और शरीर का दुबलापन दूर हो जाता है । इसे युवा लडके-लडकियां तथा प्रौढ व वृद्ध स्त्री-पुरुष सभी सेवन कर सकते हैं ।
प्रतिदिन सुबह खाली पेट कम से कम 40 दिनों तक इसका सेवन करें । इस अवधि में तले पदार्थ, तेज मिर्च मसाले, खटाई (इमली, अमचूर व कबीट की), मांसाहार व शराब का सेवन (यदि करते हों तो) बिलकुल बन्द रखें । भोजन भूख से थोडी कम मात्रा में और अच्छी तरह से चबा-चबा कर करें । चाहें तो 40 दिनों से ज्यादा समय तक भी आप इसका सेवन कर सकते हैं । उपरोक्त सभी शारीरिक समस्याओं में पूर्ण लाभकारी व निरापद प्रयोग माना जाता है ।
अब असगन्ध व आमलकी रसायन के इन दोनों चूर्ण को आपस में
मिलाकर किसी भी एअर टाईट शीशी या डिब्बे में भरकर रख लें और समान मात्रा में
मिश्रीत इस चूर्ण को पहले सप्ताह सिर्फ चाय के आधा चम्मच के बराबर मात्रा में लें
व इसमें शहद मिलाकर प्रातःकाल इसका सेवन कर लें । एक सप्ताह बाद आप इस आधा चम्मच
मात्रा को एक चम्मच प्रतिदिन के रुप में लेना प्रारम्भ कर दें ।
यदि आप शहद न लेना चाहें तो मिश्री की चाशनी इतनी मात्रा में बनाकर रखलें जितनी 8-10 दिन में समाप्त की जा सके । इस चाशनी में 4-5 इलायची के दाने भी पीसकर डाल दें और इस चाशनी के साथ असगन्ध व आमलकी रसायन का यह चूर्ण उपरोक्तानुसार सेवन करें । लेकिन शुगर (मधुमेह) के रोगियों को इसे चाशनी की बजाय शहद मिलाकर ही लेना उपयुक्त होता है ।
इसके नियमित सेवन से उपरोक्त वर्णित शिकायतें दूर होने के साथ ही शरीर सबल, शक्तिशाली व सुडौल होता जाता है । पिचके गाल भर जाते हैं और शरीर का दुबलापन दूर हो जाता है । इसे युवा लडके-लडकियां तथा प्रौढ व वृद्ध स्त्री-पुरुष सभी सेवन कर सकते हैं ।
प्रतिदिन सुबह खाली पेट कम से कम 40 दिनों तक इसका सेवन करें । इस अवधि में तले पदार्थ, तेज मिर्च मसाले, खटाई (इमली, अमचूर व कबीट की), मांसाहार व शराब का सेवन (यदि करते हों तो) बिलकुल बन्द रखें । भोजन भूख से थोडी कम मात्रा में और अच्छी तरह से चबा-चबा कर करें । चाहें तो 40 दिनों से ज्यादा समय तक भी आप इसका सेवन कर सकते हैं । उपरोक्त सभी शारीरिक समस्याओं में पूर्ण लाभकारी व निरापद प्रयोग माना जाता है ।
Read Also
विशेष- कुछ लोगों को शहद या चाशनी में मिलाकर इसे लेने में किसी भी कारण से कोई असुविधा महसूस होने पर दूध के साथ फांककर भी इसका प्रयोग करने का सुझाव प्रशिक्षित वैद्यों के द्वारा देते देखा गया है । अतः आप इसे शहद (प्रथम), मिश्री की चाशनी (द्वितीय) व दूध (तृतीय) गुणवत्ता के आधार पर समझते हुए अपनी सुविधानुसार इसका प्रयोग कर सकते हैं ।
स्वाथोपयोगी जानकारी....
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
उपचार की जानकारी देनेके लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंbaidh ji yeh bahut hi acchi yog hai ese sabhi ko azmana chahiye. mai ese jarur upyog karunga.
जवाब देंहटाएंThis is very interesting, You're a very skilled blogger. I have joined your rss feed and look forward to seeking more of your great post. Also, I have shared your site in my social networks!
जवाब देंहटाएंHere is my web page ... here on the site
my webpage > good solid information
Nice post. I was checking constantly this blog and I am impressed!
जवाब देंहटाएंVery helpful info particularly the last part :) I care for such information much.
I was seeking this particular info for a very long time.
Thank you and best of luck.
Visit my web-site: Click Here
my web page: homepage
sahad k saath lene se kaise liya jayega..pani k saath ya chatni k roop me...krapiya bataye
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत उपयोगी जानकरी. इस पुनीत कार्य को करने के लिए आपको साधुवाद!
जवाब देंहटाएंIsme dipreson ki dava bhi di jati h kya
जवाब देंहटाएंNice thanks
जवाब देंहटाएंek paur patala ki dawa
जवाब देंहटाएं