बसन्त ऋतु के समापन के इस दौर
में विकसित हो रही नीम की पत्तियों को लगभग 50 ग्राम मात्रा में पीसकर इनकी
मटर के दाने के बराबर गोलियां बनालें व उन्हें सुखाकर अगले 21 दिनों तक एक गोली प्रतिदिन
प्रातः पानी से निगल लें । इस आसान तरीके से आप अपने शरीर की त्वचा को अगले पूरे वर्ष तक किसी
भी प्रकार के चर्मरोग या अन्य किसी भी दाद-खाज, कील-मुंहासे जैसी समस्या से
सुरक्षित रखने के साथ ही अपने शरीर की रक्तशुद्धि भी इस माध्यम से कर सकते हैं ।
सीमित दायरे में यह प्रयोग आपको मधुमेह/डाइबिटिज से बचाव में भी कारगर साबित
होगा ।
वैसे तो बसन्त ऋतु के प्रारम्भ से ही जानकार लोग इसकी ताजी कौंपलों का अगले 42 दिनों तक के लिये सेवन करना प्रारम्भ कर देते हैं किन्तु इसके अत्यन्त कडवे स्वाद के कारण सामान्य तौर पर अधिकांश लोग इसका चबाकर सेवन नहीं कर पाते हैं जबकि मटर के दाने के बराबर की एक गोली आसानी से पानी द्वारा निगलकर भी हम इन्हीं लाभों को प्राप्त कर सकते हैं ।
पुरुष वर्ग में नीम का अधिक सेवन पुरुषत्व में कमी भी करता है अतः 21 दिनों से अधिक नीम की इन गोलियों का सेवन न करें ।
वैसे तो बसन्त ऋतु के प्रारम्भ से ही जानकार लोग इसकी ताजी कौंपलों का अगले 42 दिनों तक के लिये सेवन करना प्रारम्भ कर देते हैं किन्तु इसके अत्यन्त कडवे स्वाद के कारण सामान्य तौर पर अधिकांश लोग इसका चबाकर सेवन नहीं कर पाते हैं जबकि मटर के दाने के बराबर की एक गोली आसानी से पानी द्वारा निगलकर भी हम इन्हीं लाभों को प्राप्त कर सकते हैं ।
पुरुष वर्ग में नीम का अधिक सेवन पुरुषत्व में कमी भी करता है अतः 21 दिनों से अधिक नीम की इन गोलियों का सेवन न करें ।
बहुत सुंदर जानकारी जी, मेरे पिता जी दातुन भी इस कि टहनी की करते थे, ओर इस की नयी पतियो को चबाते भी थे, हम तो निम्वोली ही खाते थे
जवाब देंहटाएंउपयोगी स्वास्थप्रद जानकारी...आभार...
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद इस जानकारी के लिए।
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दी आपने... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन जानकारी पूर्ण लेख !
जवाब देंहटाएंबचपन में माँ हमे मटर के दाने जेसी गोलिया खिलाती थी जो बहुत कडवी होती थी आज मालुम हुआ की वो नीम की गोली होती थी बाद में हमे एक गुड की डली भी मिलती थी !
जवाब देंहटाएंबहुत ज्ञान वर्धक लेख है ?
हमारी दिक्कत यही है कि इन्हीं मुफ्त की बनी चीजों को हम ऊंची कीमत पर खरीदना पसंद करते हैं,पर स्वयं तैयार करने का कष्ट नहीं उठाना चाहते।
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर आकर मानो प्राकृतिक स्वर्ग मिल गया हो |.............
जवाब देंहटाएंआपको जितना धन्यवाद दिया जाए उतना कम ............आयुर्वेद की परम्परा को यूँही आगे बढाते रहना
बेहतरीन जानकारी ....
जवाब देंहटाएंयह आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं ! आभार आपका !
उपयोगी जानकारी ...
जवाब देंहटाएंjankari atyant labhkari di hai aapne....aabhar
जवाब देंहटाएंBAHUT LABH KARRI NEEM ES KA UPPOUG KERNA CHAYEA SAB SE LABH KARRI HE NEEM........
जवाब देंहटाएंtrifala ke visay me aapke dwara di gayi jaankaari bahut hi achi hai. aapka bahut-bahut dhanyavaad.
जवाब देंहटाएंमे आज से नीम का सेवन कर रहा हूँ ।
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