अमृतफल आंवला

        आंवले की गुणवत्ता से हम सभी भली प्रकार से परिचित हैं । विटामिन सी की प्रचुरता से परिपूर्ण आंवले कच्चे रहेंउबले रहें या सूखे रहें इसका विटामिन कभी नष्ट नहीं होता बल्कि सूखे आंवले में ताजे से ज्यादा विटामिन पाया जाता है । किन्तु स्वाद में खट्टा होने के साथ ही अत्यन्त तूरा लगने से प्रायः यह फल खाने में नहीं आ पाता और सामान्यतया घरों में अक्सर सिर्फ आंवले की लौंजी ही कभी कभी बना-खाकर इसका सीजन गुजार दिया जाता है । बाकि तो इसके विभिन्न स्वाद की सुपारीमुरब्बा व च्यवनप्राश जैसे उत्पाद इसके शौकीन लोग बाजार से अत्यन्त मंहगे भाव में खरीदकर ही उपयोग में लेते हैं जबकि इसके गुणों का भरपूर लाभ लेने के लिये हमें इसका सपरिवार भरपूर सेवन करना चाहिये । यह समय बाजार में बहुतायद से आंवले आने का चल रहा है इसलिये आसानी से प्रयोग में लेने हेतु मैं आपको इसके तात्कालिक और दीर्घकालिक दो उपयोग बताना चाह रहा हूँ—

     1. तात्कालिक उपयोग- जब तक बाजार में ताजे आंवले मिलते रहें दाल या सब्जी में दो आंवले डाल दें जिससे कि दाल-सब्जी के साथ सीजकर ये बिल्कुल नरम हो जाएँ, (यदि हम चाहें तो अलग से इन्हें उबालकर अपने काम में लेते रह सकते हैं) भोजन के साथ इन्हें मसलकर व गुठली निकालकर स्वाद के अनुसार शक्कर-बुरा  मिलाकर अपने भोजन के साथ नियमित रुप से इनका सेवन करें या इस मिश्रण में 4 बीजरहित मुनक्का व आधा चम्मच सौंठ का पावडर मिलाकर भोजन के एक घण्टे बाद एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें तो यह प्रयोग ह्दयफेफडे व शरीर के पाचन संस्थान को हष्ट-पुष्ट करने के साथ ही श्र्वास कष्टदमाखांसीसिर चकराना व हायपरएसिडिटी जैसे सभी शारीरिक दोषों का उपचार भी करता है । 


Click & Read Also-

2. दीर्घकालिक उपयोग-               
आंवले का मुरब्बा
      एक किलो आंवले पानी में भिगोदें व चौबीस घंटे उन्हें गलने दें । चौबीस घंटे बाद पानी से निकालकर फिर से दूसरे पानी में गलाकर रखदें । इस प्रकार दो दिन बाद उन्हें पानी से निकालकर साफ कपडे से पोंछकर कांटे से प्रत्येक आंवले को चौतरफा गोदकर अब पानी में लगभग 250ग्राम चूना घोलकर फिर उस चूने के पानी में इन आंवलों को अगले चौबीस घंटे गलने दें व 4-6 घंटे में इसे हिलाते रहें जिससे कि प्रत्येक आंवले को चूने का पर्याप्त अंश मिल जावे । पानी की मात्रा आंवलों के डूबे रहने जितनी ही रखें । इस प्रकार तीन दिन गुजरने के बाद अब इन आंवलों को पानी से निकालकर व साफ पानी से धोकर पेपर पर फरकालें व अब 500 ग्राम पानी में 50 ग्राम पिसी मिश्री घोलकर ये आंवले उस पानी में डालकर गेस पर रखकर आधे गलने तक उबाल लें व इस प्रकार उबलने के बाद ये आंवले पानी से निकालकर सूखे कपडे पर फैलाकर डाल दें । अब लगभग 1+1/2 किलो (1500 ग्राम) शक्कर की चाशनी बनाएँ व एक उबाल आने पर ये आंवले उसमें डालकर दस मिनिट पकाकर वापस उतारकर उसी बर्तन में ऐसे ही ढंककर रखे रहने दें (आप चाहें तो यहाँ शक्कर दो किलो तक भी ले सकते हैं)। दूसरे दिन फिर इन्हें आग पर रखकर उबालें व चाशनी में एक तार बनने तक उबालकर आंच से उतार लें । इलायची के दाने और केसर पत्ती आवश्यकतानुसार घोंटकर इसमें डाल दें । ठण्डा होने पर बर्नी में भरकर इस तैयार मुरब्बे का प्रतिदिन सेवन करें । इस प्रकार जितना ज्यादा मात्रा में आप इसे बनाना चाहें सामग्री का अनुपात उसी मात्रा में बढालें ।


Click & Read Also-

       इस मुरब्बे की और भी गुणवत्ता यदि आप बढाना चाहें तो एक किलो आंवले पर 10ग्राम प्रवालपिष्टी भी इसमें मिला सकते हैं । उपरोक्त आंवले का मुरब्बा आप भोजन के दो घण्टे पहले या बाद में प्रतिदिन सेवन करें । यह न सिर्फ पर्याप्त स्वादिष्ट होता है बल्कि शरीर की दाह (अतिरिक्त गर्मी)सिर दर्दआंखों की जलन व कमजोरीकब्जबवासीरत्वचारोगरक्त-विकारधातु विकारचक्कर आनादिल-दिमाग व शारीरिक कमजोरी जैसी अनेक व्याधियां दूर करता है व इसके सेवन से शरीर पुष्ट व सशक्त होता है । इसमें भी प्रवालपिष्टीयुक्त मुरब्बा विशेष गुणकारी होता है जो पित्त विकारअन्तर्दाह व शारीरिक क्षीणता नष्ट करता है । (लगभग 15 वर्ष पूर्व स्वास्थ्य पत्रिका निरोगधाम से प्राप्त इस फार्मूले से मेरे अपने घर में आंवले का यह मुरब्बा हर दूसरे-तीसरे वर्ष बनकर प्रयुक्त होता है) चूँकि इसके सेवन से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है अतः अव्वल तो रोग पास आते नहीं और जो हों वे धीरे-धीरे उपचारित हो जाते हैं । इस प्रकार उपरोक्त वर्णित शारीरिक समस्याओं का निदान भी होता चलता है ।

      एक जानकारी और आंवले प्रयुक्त हो चुकने पर जो चाशनी बची रह जाती है उसका प्रयोग हम गर्मी के मौसम में इस चाशनी को पानी में शर्बत की तरह डालकर पीते हुए शरीर को अतिरिक्त तरावट दिलाने के काम में ले सकते हैं ।

        शरीर-स्वास्थ्य से जुडी नवीनतम जानकारियों के लिये हमारे नये ब्लॉग स्वास्थ्य सुख को भी आप इसी लिंक पर क्लिक कर अवश्य देखें...

SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

7 टिप्पणियाँ:

  1. अच्छा लगा यह पोस्ट पढ़ के.आज कल आमला सस्ता भी है..खाओ आमला पो सेहत.

    जवाब देंहटाएं
  2. सुशील जी,
    आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ ! आंवले के बारे में इतनी गहन जानकारी से भरी आपकी पोस्ट पढ़ कर बहुत ही अच्छा लगा !
    शुभकामनाएं !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    जवाब देंहटाएं
  3. सुशील भाई ,
    चीनी का उपयोग आंवले जैसी बढ़िया प्राकृतिक देन के साथ, मुझे नहीं लगता कि प्राचीन काल से चलता होगा ! यह सिर्फ स्वाद के लिए बनाया गया है...??
    शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  4. hamre yaha aawle ki bag hai lekin mau aawle ki bisesta nahi malum hai esi karn mau aawla nahi sewan karta tha eski aar athik bisesta bata digiye dhannybad

    जवाब देंहटाएं
  5. Everything is very open with a very clear description of the issues.

    It was truly informative. Your website is very useful. Thanks for sharing!



    Have a look at my site: on the website

    जवाब देंहटाएं

आपकी अमल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...