प्रायः सभी स्त्री व पुरुष अलग-अलग
उम्र व परिवेष में स्वस्थ व सुंदर रहने-दिखने के लिये अनेकों प्रयत्न करते हैं, कई प्रकार के विटामिनों के साथ ही
कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल करते हैं किन्तु इस दिशा में कुछ मूलभूत
आवश्यकताओं को प्रायः नजरअन्दाज कर जाते हैं । जबकि स्वास्थ्य व सौंदर्य के साथ ही
निरोगी जीवन के लिये इन बातों को यथासम्भव अपनी जीवनशैली में अपनाकर इन महत्वपूर्ण
लक्ष्यों को आसानी से हासिल किया जा सकता है-
समय पर संतुलित भोजन करें- अक्सर अपने काम की व्यस्तताओं में
या तो हम भोजन को नजरअन्दाज कर भूख लगने पर कुछ तो भी तले-गले रेडिमेड या फास्टफूड
टाईप के खाने से काम चला लेने का प्रयास करते हैं या फिर स्वादिष्ट भोजन की लालसा
में पर्याप्त गरिष्ठ भोजन आवश्यकता से अधिक मात्रा में खाते रहते हैं जबकि ये
दोनों ही स्थितियां हमारे शरीर का स्वास्थ्य और सौन्दर्य दोनों को धीरे-धीरे नष्ट
कर देती हैं । पौष्टिक भोजन जहाँ हमारे सौंदर्य व स्वास्थ्य को बरकरार रखता है
वहीं पेटू प्रवृत्ति से किया गया गरिष्ठ भोजन अच्छे खासे शरीर पर चर्बी की परतें
चढाते हुए बीमारियों को निमंत्रित करता चलता है । इसलिये भोजन हमेशा समय पर
अनिवार्य रुप से करने की आदत बनावें । चिकनाईयुक्त गरिष्ठ भोजन से यथासम्भव बचते
हुए ताजे फल, हरी सब्जी, सलाद, दूध व अनाज पर आधारित कम घी-तेल व
मसालेदार भोजन का सेवन बिना किसी अतिरिक्त बाहरी सौंदर्य प्रसाधन व टानिक के शरीर
को पुष्ट-निरोगी व त्वचा को कांतिवान बनाये रखता है ।
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क्रोध व ईर्ष्या से बचें- उसकी कमीज मेरी कमीज से अधिक सफेद
कैसे ? इस प्रकार
की सोच हममें ईर्ष्या व क्रोध की प्रवृत्ति पनपाती है जिससे हमारे स्वास्थ्य व
सौंदर्य दोनों पर विपरीत प्रभाव पडता है । इसके दुष्परिणामों के रुप में पहले तनाव
फिर चिंता और फिर नींद गायब हो जाती है जो हमारे शरीर को कब रुग्णावस्था में
पहुंचा देती है हमें मालूम भी नहीं पडता । इसलिये अपने स्वास्थ्य व सौंदर्य को
बनाये रखने के लिये यथासंभव क्रोध और ईर्ष्या के मनोभावों से स्वयं को बचाकर रखना
अत्यन्त आवश्यक समझें । अपनी किसी भी शारीरिक या दुनीयावी कमी पर कुंठित होने की
बनिस्बत अपने प्रयासों से आप उसे दूर करने की कोशिश करें और यह चिन्तन हमेशा अपने
ख्याल में रखें-
पराई अमानत को देखकर हैरान न हो, खुदा तुझे भी देगा परेशान न हो.
अनावश्यक चिंता से बचें- चिता तो जीवन में सिर्फ एक बार
हमें जलाकर दुनियादारी से हमारे मोह माया के रिश्ते को पूरी तरह से मुक्त कर देती
है किन्तु चिंता जीते जी धीरे-धीरे हमें जलाती रहती है अतः गीता सार को जीवन में
अपनाते हुए चलें कि जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है अच्छा हो रहा है और
जो होगा अच्छा ही होगा । हमेशा चिंताओं में घिरे रहकर हम न सिर्फ अपना आज बल्कि आने वाला
कल भी बिगाडते चले जाते हैं और हमें मालूम भी नहीं पडता कि कब हमारा शरीर अपना
स्वाभाविक सौंदर्य खोते हुए कैसे बीमारियों की गिरफ्त में फंसता चला जा रहा है
इसलिये आज में रहकर जो भी संसाधन हमारे पास उपलब्ध हों उसमें पूर्ण संतुष्टि के
साथ जीवन जीने की आदत डालें और कवि हरिवंशराय बच्चन के इस जीवन-दर्शन को सामने
रखते हुए चलें कि "मन का हो जावे तो बहुत अच्छा, और मन का न हो पावे तो उससे भी
अच्छा" ये विपरीत बात समझ में आने वाली लगती नहीं है किन्तु मन का न हो पाने
का मतलब यह कि ईश्वर को ये मंजूर नहीं था, और ईश्वर तो आपका बुरा चाहेंगे
नहीं, इसलिये मन
का न हो पावे तो उससे भी अच्छा का जीवन दर्शन हमेशा आपको अनावश्यक निराशा से बचाने
में मददगार साबित होता है ।
खुश रहने की आदत बनावें- मानव जीवन उतार-चढाव और सुख-दुःख
के चक्र से कभी मुक्त नहीं रह पाता है, अतः किसी भी अप्रिय स्थिति को
हमेशा दिमाग में रखकर उसकी सोच में घुलते रहना, हर किसी के सामने अपनी दयनीय स्थिति
का दुःखडा रोते रहना हमें जीवन के प्रति निराशावादी दृष्टिकोण की ओर ले जाता है
जिसके विपरीत परिणाम हमारे शरीर को पहले अपने सौन्दर्य और फिर स्वास्थ्य को खोकर
चुकाना पडते हैं अतः यदि विपरीत परिस्थितियां भी हमारे सामने हों तो पूरे धैर्य के
साथ उनका समाधान खोजने का प्रयास करें और यह विश्वास रखकर चलें कि यदि दिन के बाद
रात का आना अनिवार्य है तो रात के बाद दिन भी जल्द ही आवेगा । अपनी सकारात्मक सोच
न सिर्फ आपको विपरीत परिस्थितियों से पार पाने में मददगार होगी बल्कि मन शांत रहने
से इसका सकारात्मक लाभ आपके शरीर के स्वास्थ्य और सौन्दर्य को लगातार मिलता रहेगा
।
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स्नेह और मुस्कान- हंसता मुस्कराता चेहरा न सिर्फ
देखने वालों को आपकी ओर प्रसन्नतापूर्वक आकर्षित करता है बल्कि इस टानिक से हमारा
चेहरा अपनी रंगत से, आंखें अपनी
चमक से, गाल अपनी
लालिमा से और दिल अपने बढे हुए रक्तसंचार से धडकनों के द्वारा चेहरे पर स्वाभाविक
रौनक बिखेर देता है जिसका पूरा लाभ हमारे सौंदर्य के साथ ही सेहत के रुप में हमें
मिलता है जो अंततः निरोगी जीवन जीने में हमारे लिये मददगार साबित होता है । स्नेह
और मुस्कान बनाये रखने के लिये अपने साथी के साथ विवाद से बचना सदैव लाभदायक होता
है इसलिये यहाँ ये जीवन दर्शन अपनाया जा सकता है- जो तुमको हो पसन्द वही बात कहेंगे, तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे । याद रखें ये तरीका सिर्फ विवादों
से दूर रहने के लिये है ना कि सामने वालों के मुताबिक अपना जीवन जीने के लिये ।
यथासंभव प्रसन्न रहने से शरीर का स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों लम्बे समय तक सलामत
रहते हैं ।
अतः अपने स्वास्थ्य
व सौंदर्य को सुरक्षित रखते हुए निरोगी जीवन जीने के लिये समय पर पौष्टिक भोजन
करें, क्रोध, ईर्ष्या व चिंताओं के अनावश्यक
प्रहार से यथासंभव बचें और हर समय प्रसन्न रहने की आदत बनाये रखने के साथ ही हंसने
मुस्कराने के किसी भी अवसर को हाथ से न जाने दें ।
शरीर-स्वास्थ्य से जुडी नवीनतम जानकारियों के लिये नीचे की लिंक क्लिक करें व देखें हमारा नया ब्लॉग…
स्वास्थ्य सुख
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स्वास्थ्य सुख
एक से बढ़कर एक सीख बताई है स्वस्थ जीवन के लिए सुशील जी... ज़रूरत है बस अमल में लाने की... बहुत-बहुत धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअपने स्वास्थ्य व सौंदर्य को सुरक्षित रखते हुए निरोगी जीवन जीने के लिये समय पर पौष्टिक भोजन करें, क्रोध, ईर्ष्या व चिंताओं के अनावश्यक प्रहार से यथासंभव बचें और हर समय प्रसन्न रहने की आदत बनाये रखने के साथ ही हंसने मुस्कराने के किसी भी अवसर को हाथ से न जाने दें ।
जवाब देंहटाएंWah Sushilji jeevan ko jeene ka isse achchha tareeka to ho hi nahi sakta... jankari dene ke liye bahut - bahut shukriya..
sach kaha hai apne
जवाब देंहटाएंअच्छी सलाह है।
जवाब देंहटाएंhttp://roshi-agarwal.blogs.co
जवाब देंहटाएंमैं अपना ब्लॉग का नाम और लिंक दे रही हूँ
काफी उपयोगी बातें आपने बताई . ..आभार ..
जवाब देंहटाएंसही है
जवाब देंहटाएंसही है
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