अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार पूरी दुनिया में हर वर्ष एक लाख अस्सी हजार मौतें सॉफ्टड्रिंक्स की वजह से होती हैं, जो कि केंसर और एड्स से होने वाली कुल मौतों से भी ज्यादा है ।
आज विश्व के नवजवानों में डायबटीज की बीमारी बहुत तेजी से फ़ैल रही
है. हर साल कम से कम एक करोड़ लोग इसके शिकार हो रहे हैं. पहले यह बीमारी इस तरह
नहीं फैलती थी और इस रोग को पीढ़ीगत रोग माना जाता था. आखिर क्या कारण है कि आज
डायबटीज एक महामारी से भी बड़ी बीमारी बनती जा रही है ?
इसका एक मात्र कारण सॉफ्टड्रिंक्स पीने और पिलाने का चलन हो गया है.
एक छोटी सी 350 मि.ली.
की बाटल पीने के बाद उसके कारण हमारे शरीर के अति महत्वपूर्ण अंगो जैसे कि लीवर, किडनी और हार्ट पर क्या असर
पड़ता है; आइये
इसकी हम एक झलक देखते हैं –
1. 10 मिनिट में हमारे शरीर की कुल दैनिक जरूरत से ज्यादा 10 चम्मच शक्कर हमारे अंदर
पहुँच जाती है. सॉफ्टड्रिंक में मौजूद फास्फोरिक एसिड इस मिठास को हमे महसूस नहीं
होने देता, वर्ना
हमे उल्टी हो जाती और यह शुगर बाहर निकल जाती.
2. 20 मिनिट बाद हमारा शरीर बहुत सारा इन्सुलिन तेजी से बनाता है और ब्लड
शुगर लेवल तेजी से बढ़ता है; फिर इतनी
शुगर को पचाने के लिये हमारे लीवर को ओवरलोडिंग में काम कर इस शुगर को फेट में
परिवर्तित करना पड़ता है, जिससे
हमारा मोटापा बढ़ने लगता है.
3. 40 मिनिट बाद सॉफ्टड्रिंक में मौजूद कैफीन शरीर में समा जाती है. इस
कारण हमारी आखों की पुतलियाँ ज्यादा खुल जाती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिसके कारण ह्रदय की भी
ओवरलोडिंग होने लगती है. हार्ट को और ज्यादा एनर्जी देने के लिये लीवर को बहुत
ज्यादा शुगर ब्लड में पंप कर ह्रदय की तीव्र गतिशीलता बनाये रखने की कोशिश की जाती
है.
4. 45 मिनिट बाद शरीर में डोपमाइन नामक केमिकल बनता है, जिससे मन को आनंद का एहसास
होता है. इस तरह वह मनुष्य इस सॉफ्टड्रिंक का आदी बन जाता है. यह क्रिया ऐसी ही
होती है जैसे कि हेरोइन आदि नशीली वस्तुओं को लेने के बाद होती है.
5. 60 मिनिट बाद सॉफ्टड्रिंक में मौजूद फास्फोरिक एसिड हमारे शरीर के पोषण
के लिये जरूरी केल्शियम, मैग्नीशियम
और जिंक को हमारी आँतों में ही रोक लेता है. फिर केफीन इनसे क्रिया कर इन्हें मल-मूत्र
के साथ शरीर से बाहर कर देता है. इस तरह हमारे शरीर के पोषण व विकास के लिये जरूरी
केल्शियम, मैग्नीशियम
और जिंक बिना किसी फायदे के निष्फल हो जाते हैं.
6. इम्पीरियल कॉलेज लंदन की रिसर्च के अनुसार सॉफ्टड्रिंक की हर बोतल के
साथ टाइप-2 डायबटीज का
खतरा 20% ज्यादा
बढ़ जाता है. इसका कारण यह है कि सॉफ्टड्रिंक में मौजूद कैरेमल नामक रसायन हमारे
शरीर में इन्सुलिन बनने की प्रक्रिया को धीमे कर देता है. फिर एक दिन ऐसा आता है, जब हमारा शरीर इन्सुलिन
बनाना पूरी तरह बंद कर देता है और हमें भी डायबटीज हो जाती है.
7. प्रो. निक वेअरहेम लंदन के अनुसार अब वक़्त आ गया है, जब हमें चाहिये कि
सॉफ्टड्रिंक की बोतलों के प्रयोग पर भी तम्बाकू उत्पादों की तरह ही स्वास्थ्य
चेतावनी रहे.
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " आत्मबल की शक्ति - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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