आज अचानक मेरे 3 वर्षीय पोते को दोपहर में उसके
मम्मी-पापा के साथ किसी फंक्शन में तेज बुखार महसूस हुआ । मेरे बेटे-बहू ने घर आकर
बच्चे को अपने विवेक से क्रोसीन सायरप का सामान्य डोज दे दिया जिससे बुखार कुछ समय
के लिये कन्ट्रोल में आ गया, 3-4 घंटे बाद बच्चे को फिर तेज
बुखार ने अपनी गिरफ्त में ले लिया । रविवार होने के कारण प्रायः शाम को डाक्टर
अवकाश के मूड में रहते हैं और अपने क्लिनिक में उपलब्ध नहीं हो पाते अतः बहू ने
फिर उसे क्रोसीन सायरप देने के साथ ही उसके सिर पर ठन्डे पानी की पट्टी रखकर बुखार
को नियंत्रित करने का प्रयास किया किन्तु कुछ ही समय बाद छोटा सा यह बच्चा झटके
खाते हुए दांत भींचकर आँखें फेर लेने और होश में होते हुए भी मुट्ठियां भींचकर
अचेतन स्थिति में पहुँच गया । सुबह तक हँसते-खेलते बच्चे को अचानक ऐसी विचित्र और
अचेतन स्थिति में देख पूरे परिवार में कोहराम सा मच गया और जो जैसा था उसी स्थिति
में सब बच्चे को लेकर अस्पताल भागे जहाँ तत्काल उसे ICU में भर्ती करके उसका उपचार
करवाना पडा । राहत की बात यह थी कि शिशु रोग विशेषज्ञ हमारे पारिवारिक सदस्य के समान
ही थे अतः वे भी 75 वर्ष के करीब की उम्र होने के बावजूद अपने घर से करीब 15 किलोमीटर से भी अधिक की ट्रेफिक
जाम परिस्थितियों में भी स्वयं ड्राईविंग करके अस्पताल पहुँच गये और उनकी देखरेख
में समय रहते बालक का व्यवस्थित उपचार प्रारम्भ हो गया ।
सुबह तक हँसते खेलते बच्चे को
अचानक ऐसा क्या हो गया के उत्तर में डा. भाई साहब ने जो बताया उसे सभी छोटे बच्चों
के माता-पिता को जानना अत्यन्त उपयोगी होने के कारण इस अनुभव के साथ ही उनकी सलाह
को मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ । उनके कथनानुसार 6 माह से लगाकर 5 वर्ष तक के छोटे बच्चे यदि 101 डिग्री टेम्प्रेचर के उपर के
बुखार की गिरफ्त में आ जाते हैं तो उनका शरीर बुखार की इस स्थिति को बर्दाश्त नहीं
कर पाता और उनका बुखार बच्चे के मस्तिष्क तक पहुँच जाता है, जिससे बच्चा कभी-कभी मरणासन्न
स्थिति में भी पहुँच सकता है अतः वे सभी पेरेन्ट्स जिनके घरों में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हों
वे कभी भी यदि बच्चे को 101 डिग्री टेम्प्रेचर से उपर के बुखार में देखें तो अपने विवेक से बच्चे
को दवाई देने की बजाय उसे तत्काल किसी योग्य शिशु रोग विशेषज्ञ के पास ही लेकर
जावें क्योंकि सामान्य तौर पर हममें से अधिकांश लोग 103-104
डिग्री
तक के बुखार के टेम्प्रेचर को भी डाक्टर द्वारा बताई गई दवा देकर
ठीक कर लेने की कोशिश कर लेते हैं और यह स्थिति बडे बच्चों व वयस्क
लोगों के लिये तो शायद ठीक हो सकती हो किन्तु 5 वर्ष से छोटे बच्चों के लिये
कभी भी घातक हो सकती है ।
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।
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