वर्तमान समय में हर दूसरे, तीसरे या चौथे घरों में गमले में उगाये जाने वाले
ग्वारपाठे के रस (जूस) का कारोबार बडी तेजी से देश-विदेश में फैलता जा रहा है इसका
कारण ग्वारपाठे का हमारे शरीर के लगभग प्रत्येक हिस्से के लिये अत्यन्त उपयोगी
होना ही है । स्वामी रामदेव जैसी चिर-परिचित शख्सियत भी अपने योग-शिविरों में न
सिर्फ इसे गमले में उगा अपने साथ ही रखते हैं बल्कि इसकी गुणवत्ता की निरन्तर
चर्चा किया करते हैं । आईये जानें कि एलोवेरा का यह जूस हमारे लिये कितना उपयोगी
हो सकता है-
1. तेज धूप में निकलने से
पहले एलोवेरा का यह रस अच्छी तरह से अपनी त्वचा पर लगा लें । यह माइस्चराइजर के
रुप में भी काम करता है और सनबर्न से त्वचा को बचाता भी है । यदि तेज गर्मी के
कारण आपकी त्वचा झुलस चुकी हो तो दिन में तीन बार त्वचा पर इसका रस लगाने से शीघ्र
ही आराम पा सकते हैं ।
2. जलने या चोट लगने पर
इसका जेल (गूदा) लगाने से बहुत आराम मिलता है । जलने के तुरन्त बाद उस जगह को
ठण्डे पानी से धोकर यह जेल लगा लेने से फफोले भी नहीं निकलते और तीन-चार बार लगा
लेने से जलन भी समाप्त हो जाती है ।
3. एक अच्छे स्वास्थ्यवर्द्धक
पेय के रुप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है । एक गिलास नारियल पानी में चार
चम्मच यह रस मिलाकर पीना शरीर को उर्जा प्रदान करने के साथ ही गर्मी में घर से
बाहर होने पर लू से बचाव भी करता है ।
4. बाहर घुमने वाले लोगों
को अपनी त्वचा के साथ ही बालों की सुरक्षा की चिंता भी रहती है । बालों की
खूबसूरती के लिये सप्ताह में दो बार शेंपू करने से पहले चमेली, जोजोवा या नारियल तेल में ग्वारपाठे का यह रस मिलाकर
अच्छी तरह से अपने बालों में लगाएं । इससे बाल बेजान होने से बचने के साथ ही
सुन्दर, स्वस्थ व लंबे बने रहेंगे ।
5. पाचनक्रिया और त्वचा
पुनर्निमाण के लिये एलोवेरा का जूस लाभवर्द्धक होने के साथ ही इस रस को गर्मी के
कारण निकलने वाले फोडे-फुंसियों से निजात पाने के लिये त्वचा पर इसका रस लगाकर इस समस्या से बचाव के रुप
में भी इसका उपयोग सफलतापूर्वक किया जाता है ।
बाजार से इसका मंहगा जूस खरीदने की बनिस्बत आप
इसके पत्तों को छील व काटकर मिक्सर में इतनी देर चलावें कि सारा गूदा जूस बन जावे
। इस ताजे जूस को आप तीन-चार दिन काम में लेकर पुनः नया व ताजा जूस निरन्तर बनाकर
काम में लेते रह सकते हैं ।
खाद्य सामग्री के रुप में इसका लाभ लेने के लिये-
एलोवेरा के जूस में 50 ग्राम आटा ओसनवाकर उसकी रोटी या बाटी बनावें और
अच्छा घी लगाकर इस पौष्टिक व स्वास्थ्यवर्द्धक रोटी या बाटी को पर्याप्त घी के साथ
खांएं ।
एलोवेरा का अचार - नींबू, आम, आंवला आदि के समान ही ग्वारपाठे का अचार भी बनाया
जाता है । ग्वारपाठे के पत्तों के टुकडे 1 कि., हल्दी और दालचीनी 5-5 ग्राम, साबुत
अजवायन 20
ग्राम, सादा
या सेधा नमक 10
ग्राम या स्वादअनुसार एवं मिर्च आपकी रुचि व
स्वाद अनुसार मात्रा में लेकर इन सबको कांच के मर्तबान में भर दें । एक सप्ताह इसे
दिन में धूप में रखकर कुछ दिन सामान्य तापमान में रखा रहने पर यह अचार तैयार हो
जाएगा । इस अचार को प्रतिदिन थोडी-थोडी मात्रा में भोजन के साथ खाने से सभी प्रकार
के उदर रोगों दूर होते हैं । बवासीर के रोगी को विशेष आराम मिलता है । यह अचार
स्वादिष्ट व्यंजन होने के साथ ही गुणकारी औषधि भी है ।
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जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी के लिए आभार आपका ! यह उपयोगी ब्लॉग तमाम भ्रांतियों को दूर करने में लोगों की सहायता करता रहेगा ऐसा विश्वास है !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
हमारे पास एक आयुर्वेदिक कम्पनी का एमआर एलोवेरा के जूस की सेल के लिए आया। उसके उत्पाद को देखा उसके पैक पर पचास फ़ायदे लिखे थे कि इसमें शरीर को लाभ पहुचाने वाले 220 तत्व पाए जाते हैं और यह जिगर पर यह करता है और पेट पर वह करता है जबकि पेट और जिगर जिस अंग को बल दे रहे हैं उसके बारे में उस पर कोई जानकारी नहीं थी ठीक ऐसे ही जैसे कि आप टाल गए कि लोग ख़ुद समझ लेंगे।
जवाब देंहटाएंहमने उसे पिया और जो असर देखा तो कोशिश करते हैं कि हमारा हरेक यार दोस्त इसे ज़रूर पी ले।
अंदर से खोखला होता हुआ इंसान एक दम सॉलिड हो जाएगा।
ऐसा हमारा वादा है और आप तो जानते ही हैं ...
इसे निश्चित ही सकारात्मक लेखन कहा जाएगा।
हम हिंदी ब्लॉगिंग गाइड लिख रहे हैं, यह बात आपके संज्ञान में है ही।
क्या आप इस विषय में तकनीकी जानकारी देता हुआ कोई लेख हिंदी ब्लॉगर्स के लिए लिखना पसंद फ़रमाएंगे ?
अब तक हमारी गाइड के 26 लेख पूरे हो चुके हैं। देखिए
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यह एक यादगार लेख है जिसे भुलाना आसान नहीं है।
बहुत उपयोगी एवं ज्ञानवर्द्धक जानकारी ....
जवाब देंहटाएंऐलोवेरा के आचार की विधी पढकर तो आपकी जानकारी के कायल होगये, किसी दिन आपके यहां आकर टेस्ट करना पडेगा. बहुत शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम
इसकी तारीफ सुन सुन कर मैडम ने भी घर के एक गमले में लगा लिया है। देखते हैं क्या रंग दिखाता है यह।
जवाब देंहटाएं------
लो जी, मैं तो डॉक्टर बन गया..
क्या साहित्यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?
बहुत सुंदर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंएक चीज और, मुझे कुछ धर्मिक किताबें यूनीकोड में चाहिये, क्या कोई वेबसाइट आप बता पायेंगें,
आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
माइस्च्राइजर ...?
जवाब देंहटाएंमैं न कहूँ तस्वीर में आपका चेहरा इतना चमकता क्यों है ....:))
साढ़े छह सौ कर रहे, चर्चा का अनुसरण |
जवाब देंहटाएंसुप्तावस्था में पड़े, कुछ पाठक-उपकरण |
कुछ पाठक-उपकरण, आइये चर्चा पढ़िए |
खाली पड़ा स्थान, टिप्पणी अपनी करिए |
रविकर सच्चे दोस्त, काम आते हैं गाढे |
आऊँ हर हफ्ते, पड़े दिन साती-साढ़े ||
http://charchamanch.blogspot.com
सुशील जी, कहां खो गये हैं। इस शमा को जलाए रखें।
जवाब देंहटाएं------
आप चलेंगे इस महाकुंभ में...
...मानव के लिए खतरा।
एलोवेरा का 5000 साल पुराना इतिहास है | पुराने समय में लोग इससे औषधि के रूप में इस्तेमाल करते आ रहे है | पवित्र ग्रन्थ रामायण, बाइबल और वेदों में भी इस पौधे की उपयोगिता के बारे में चर्चा की गई है | मिस्त्र की महारानी क्लीवपेट्रा से लेकर महात्मा गाँधी तक इसका इस्तेमाल करके फायदा उठा चुके है | वर्तमान में एलो वेरा का उपयोग अनेक प्रकार के आयुर्वेदिक औषधीय में बहुतायत से हो रहा है | कोई भी वैद्य,चिकित्सक, व हाकिम इनके गुणों को नकार नहीं सकता | इसे कई नाम से जाना जाता है , जैसे हिंदी में ग्वारपाठा, क्वारगंदल,घृतकुमारी, कुमारी या फिर घी-ग्वार भी कहते है |
जवाब देंहटाएंएलोवेरा का 5000 साल पुराना इतिहास है | पुराने समय में लोग इससे औषधि के रूप में इस्तेमाल करते आ रहे है | पवित्र ग्रन्थ रामायण, बाइबल और वेदों में भी इस पौधे की उपयोगिता के बारे में चर्चा की गई है | मिस्त्र की महारानी क्लीवपेट्रा से लेकर महात्मा गाँधी तक इसका इस्तेमाल करके फायदा उठा चुके है | वर्तमान में एलो वेरा का उपयोग अनेक प्रकार के आयुर्वेदिक औषधीय में बहुतायत से हो रहा है | कोई भी वैद्य,चिकित्सक, व हाकिम इनके गुणों को नकार नहीं सकता | इसे कई नाम से जाना जाता है , जैसे हिंदी में ग्वारपाठा, क्वारगंदल,घृतकुमारी, कुमारी या फिर घी-ग्वार भी कहते है |
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