बेशक
नोनी (मोरिंडा सिट्रोफोलिया) नामक यह फल किसी बीमारी का इलाज़ तो नहीं मगर इसके
सेवन से कोई भी बीमारी नही बच सकती, चाहे वो एड्स हो या कैंसर ।
उन्होंने यह भी बताया कि, “यह फल एक बेहतरीन एंटी ऑक्सिडेंट है, यदि शुरू से इसका सेवन किया जाए तो कैंसर सहित कोई भी रोग शरीर में सामान्यतः नहीं होगा, ये फाउंडेशन कैंसर व एड्स पर नोनी के प्रभाव के शोध कर रहे हैं ।”
वहीं इसके अलावा मुंबई, बेंगलुर, हैदराबाद, चेन्नई सहित कई मेट्रो शहरों में दर्जनों ऐसे कैंसर पीड़ितों को यह दिया जा रहा है, जिन्हें अस्पतालों ने लाईलाज बताकर डिस्चार्ज कर दिया था ।
ये भी देखा जा रहा है कि जिन मरीजों को नोनी दिया जा रहा है, उनकी उम्र भी बढ़ गई है । मगर अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि नोनी के सेवन से कैंसर व एड्स पूरी तरह ठीक ही हो जाएगा, शोध जारी है ।
वहीं नोनी के बारे में जागरूकता फैलने पर अब इस फल को लेकर दूसरे देशों में भी इस पर शोध चल रहे हैं । इस फल के उन गुणों और तत्वों के बारे में परीक्षण चल रहे हैं, जिस कारण ये महत्त्वपूर्ण हो जाता है ।
इस समय नोनी की उपयोगिता को ध्यान रखकर ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि स्नातक पाठ्यक्रम में दो साल से नोनी को शामिल कर लिया है । वस्तुत: नोनी हमारी सांकृतिक धरोहर है और हमें यह जिस रुप में भी मिले, इसका उपयोग करते हुए इससे मिलने वाले शारीरिक लाभ अवश्य उठाना चाहिये ।
आज नोनी फल आम लोगों के लिए जितना गुमनाम है, सेहत के लिए उतना ही
फायदेमंद। इसके रूप में वैज्ञानिकों को एक ऐसी संजीवनी हाथ लगी है जो स्वास्थ्य के
लिए अमृत समान है ।
अस्थमा, गठिया, मधुमेह, दिल की बीमारी, नपुंसकता, स्त्रियों की बीमारियां
एवम् बांझपन सहित कई बीमारियों के इलाज में यह रामबाण साबित हो रहा है ।
मात्र यही नही बल्कि पान-मसाला, गुटखा, तंबाकू
की जिन्हें आदत है वे भी अगर नोनी फल खायेंगे या उसका जूस पिएंगे तो उनकी इस तरह
की तरह आदतें छूट जाएँगी और कैंसर भी नही होगा । इस फल से प्रतिरोधक क्षमता इतनी
अद्भुत तरीके से
बढ़ती है की फिर एड्स ही क्यों न हो यह उसको भी यह क्योर करने का दम रखता है ।
एक ताजा शोध के मुताबिक नोनी फल कैंसर व लाइलाज एड्स जैसी खतरनाक
बीमारियों में भी कारगर साबित हो रहा है । वहीं भारत में वर्ल्ड नोनी रिसर्च
फाउंडेशन सहित कई शोध संस्थान शोध कर रहे हैं ।
हाल ही में नोनी के इन रहस्यमयी गुणों का खुलासा भारतीय कृषि
अनुसंधान संस्थान के एक सेमिनार में हुआ। कृषि वैज्ञानिक नोनी को मानव स्वास्थ्य
के लिए प्रकृति की अनमोल देन बता रहे हैं ।
इन वैज्ञानिकों के अनुसार समुद्र तटीय इलाकों में तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, अंडमान निकोबार, मध्यप्रदेश सहित नौ राज्यों
में 653 एकड़ में
इसकी खेती हो रही है ।
वहीं कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व
चेयरमैन व वर्ल्ड नोनी रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. कीर्ति सिंह ने कहा – “इस फल में दस तरह के विटामिन, खनिज पदार्थ, प्रोटीन, फोलिक एसिड सहित 160+ पोषक
तत्व हैं ।”
उन्होंने कहा कि –
“इसके इतने पोषक तत्वों की मौजूदगी के चलते उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, थायराईड, मधुमेह, गठिया, सर्दी जुकाम सहित अनेक
बीमारियों में औषधि के रूप में काम आता है ।”
उन्होंने यह भी बताया कि, “यह फल एक बेहतरीन एंटी ऑक्सिडेंट है, यदि शुरू से इसका सेवन किया जाए तो कैंसर सहित कोई भी रोग शरीर में सामान्यतः नहीं होगा, ये फाउंडेशन कैंसर व एड्स पर नोनी के प्रभाव के शोध कर रहे हैं ।”
शहर में लगभग 25 एड्स
मरीजों को नियमित नोनी का जूस पीने को दिया गया और लगातार उन पर ध्यान रखा गया
जिसके पश्चात सकारात्मक परिणाम देखने को मिले और अब ज्यादातर मरीज बेहतर महसूस
करते हैं।
वहीं इसके अलावा मुंबई, बेंगलुर, हैदराबाद, चेन्नई सहित कई मेट्रो शहरों में दर्जनों ऐसे कैंसर पीड़ितों को यह दिया जा रहा है, जिन्हें अस्पतालों ने लाईलाज बताकर डिस्चार्ज कर दिया था ।
ये भी देखा जा रहा है कि जिन मरीजों को नोनी दिया जा रहा है, उनकी उम्र भी बढ़ गई है । मगर अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि नोनी के सेवन से कैंसर व एड्स पूरी तरह ठीक ही हो जाएगा, शोध जारी है ।
वहीं नोनी के बारे में जागरूकता फैलने पर अब इस फल को लेकर दूसरे देशों में भी इस पर शोध चल रहे हैं । इस फल के उन गुणों और तत्वों के बारे में परीक्षण चल रहे हैं, जिस कारण ये महत्त्वपूर्ण हो जाता है ।
इस समय नोनी की उपयोगिता को ध्यान रखकर ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषि स्नातक पाठ्यक्रम में दो साल से नोनी को शामिल कर लिया है । वस्तुत: नोनी हमारी सांकृतिक धरोहर है और हमें यह जिस रुप में भी मिले, इसका उपयोग करते हुए इससे मिलने वाले शारीरिक लाभ अवश्य उठाना चाहिये ।
नोनी के
प्रयोग में एक आवश्यक सावधानी भी -
चूंकि नोनी हमारे शरीर से टॉक्सिंस (देहविष) बाहर निकालने का कार्य
प्रथमतः करता है और इसी लिये उपरोक्त बीमारियों में कारगर तरीके से सक्षम माना गया
है किंतु ये टॉक्सिंस जो नोनी की मदद से शरीर से बाहर आने की स्थिति में आ चुके
होंगे वे अंततः मूत्रमार्ग से ही हमारे शरीर से पूरी तरह से बाहर हो पाएंगे और यदि
किसी भी कारण से किसी भी व्यक्ति को किडनी से सम्बन्धित कोई भी समस्या शरीर में
बनी रहती हो तो नोनी उनके काम का इसलिये नहीं है कि मूत्रमार्ग में एकत्र वो
विषॉक्तता यदि इसे लेने वाले की किडनी बाहर नहीं निकाल पाई तो उसकी यही एक बढी हुई
समस्या चेहरे पर सूजन के साथ ही दूसरी अनेक समस्याओं को शरीर में बढा सकती है अतः
वे सभी लोग जो पेशाब अथवा किडनी की किसी भी समस्या से ग्रसित हों वे नोनी का
प्रयोग पूरी तरह से सावधान रहकर ही करें अन्यथा बिल्कुल न करें ।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " भारत का पहला स्वदेशी स्पेस शटल RLV-TD सफलतापूर्वक लॉन्च " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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