चिलचिलाती
गर्मी में कुछ मिले या ना
मिले पर शरीर को पानी जरूर मिलना चाहिए । अगर पानी RO का हो तो, क्या बात
है ! परंतु
क्या वास्तव में हम RO
के पानी को शुद्ध पानी मान सकते हैं ?
RO के पानी के लगातार इस्तेमाल से शरीर मे विटामीन B-12 की कमी भी होने लगती है ।
वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 500 टीडीएस तक सहन करने की क्षमता रखता है परंतु RO में 18 से 25 टीडीएस तक पानी की शुद्धता होती है जो कि नुकसानदायक है । इसके विकल्प में क्लोरीन को रखा जा सकता है जिसमें लागत भी कम होती है एवं पानी के आवश्यक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं । जिससे मानव का शारीरिक विकास अवरूद्ध नहीं होता ।
जहां एक तरफ एशिया और यूरोप के कई देश RO पर प्रतिबंध लगा चुके हैं वहीं भारत में RO की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और कई विदेशी कंपनियों ने यहां पर अपना बड़ा बाजार बना लिया है । स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना और जागरूक करना ज़रूरी हैं । अतः अब शुद्ध पानी के लिए नए अविष्कारों की जरूरत है ।
याद रखें की लम्बे समय तक RO का पानी, लगातार पीने से, शरीर कमजोर और बिमारीयों का घर बन जाता है । अत: प्राकृतिक (खनीज युक्त) पानी परंपरागत तरीकों से साफ कर के पीना, हितकर है।
जवाब आता है बिल्कुल नहीं । और यह जवाब विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) की तरफ
से दिया गया है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि इसके लगातार सेवन से हृदय संबंधी
विकार, थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, सरदर्द आदि दुष्प्रभाव पाए
गए हैं । यह कई शोधों के बाद पता चला है कि इसकी वजह से कैल्शियम और मैग्नीशियम
पानी से पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं जो कि शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है ।
RO के पानी के लगातार इस्तेमाल से शरीर मे विटामीन B-12 की कमी भी होने लगती है ।
वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 500 टीडीएस तक सहन करने की क्षमता रखता है परंतु RO में 18 से 25 टीडीएस तक पानी की शुद्धता होती है जो कि नुकसानदायक है । इसके विकल्प में क्लोरीन को रखा जा सकता है जिसमें लागत भी कम होती है एवं पानी के आवश्यक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं । जिससे मानव का शारीरिक विकास अवरूद्ध नहीं होता ।
जहां एक तरफ एशिया और यूरोप के कई देश RO पर प्रतिबंध लगा चुके हैं वहीं भारत में RO की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और कई विदेशी कंपनियों ने यहां पर अपना बड़ा बाजार बना लिया है । स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना और जागरूक करना ज़रूरी हैं । अतः अब शुद्ध पानी के लिए नए अविष्कारों की जरूरत है ।
याद रखें की लम्बे समय तक RO का पानी, लगातार पीने से, शरीर कमजोर और बिमारीयों का घर बन जाता है । अत: प्राकृतिक (खनीज युक्त) पानी परंपरागत तरीकों से साफ कर के पीना, हितकर है।
बेहतरीन जानकारी...
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28-06-2016) को "भूत, वर्तमान और भविष्य" (चर्चा अंक-2386) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हम ro के पानी को 125 टीडीएस रखते है
जवाब देंहटाएंइसलिऐ आपकी जानकारी गलत है
और यदि 15 से 20 टी डी एस रखने से पानी कडु हो जाऐगा और उसे पी नही सकेगे
मेरे घर पर जो पानी सप्लाई का आ रहा है उसका टीडीएस 200 आ रहा क्या हम उस पानी की पी सकते है ओर आरो का पानी है उसका टीडीएस 5 आ रहा है कौन सा पानी पीने के लिए सही है
जवाब देंहटाएंमेरी जानकारी के मुताबिक 130 से 180 टीडीएस का पानी हमारे पीने योग्य पानी के दायरे में आता है, हो सकता है कि किसी और की जानकारी में ये आंकडे कुछ परिवर्तित हों, ऐसे में यह निर्णय आपको ही लेना चहिये कि 5 टीडीएस का पानी आपको पीना चाहिये या नहीं ?
हटाएंMera tds 12 or 13 hai कितना होना चाहिए पानी का टीडीएस सर शुद्ध पेयजल कितना होना चाहिए पीने लायक
जवाब देंहटाएं