जीवनदायिनी प्राकृतिक अलसी - नया नजरिया...

            मानव शरीर को स्वस्थ रख सकने में ओमेगा 3 की प्रचुर मात्रा से भरपूर अलसी की गुणवत्ता से हममें से लगभग सभी लोग किसी न किसी रुप में कम या ज्यादा जानकारी के द्वारा लगभग परिचित होंगे । हमारे शरीर का शायद ही कोई अवयव ऐसा होगा जहाँ अलसी अपना गुणकारी प्रभाव न छोड पाती हो । किंतु इसके बाद भी लोग प्रायः इसे अपने आहार में आवश्यक अनुपात में शामिल नहीं कर पाते । यदि यह समझने की कोशिश की जावे कि ऐसा क्यों ? तो जो कुछ जाने-पहचाने कारण समझ में आते हैं, वे ये हो सकते हैं -

            1. अलसी हर जगह बहुतायद से नहीं मिलती, प्रायः इसे ढूंढना पडता है ।

            2.
चबाने पर अलसी ऐसा लिसलिसा पदार्थ बनकर मुंह में अरुचिकर व कसैली सी स्थिति बना देती है जो सामान्य तौर पर हम पसन्द नहीं कर पाते ।

            3.
अलसी के पूरे स्वास्थ्य-लाभ शरीर को मिल सकें इसके लिये प्रतिदिन लगभग 30 से 60 ग्राम अलसी का सेवन आवश्यक माना जाता है । जहाँ 10-5 ग्राम की मात्रा भी हम नियमित रुप से नहीं ले पाते वहीं 30 से 60 ग्राम तो प्रायः हमारी सोच से भी परे की स्थिति बन जाती है ।

            4.
अलसी का तेल भी ढूंढने पर मिल जाता है किंतु प्रायः पेंट इंडस्ट्री (दीवारों का रंग-रोगन, ऑईल पेंट) के काम आने हेतु उपलब्ध यह तेल कच्ची घानियों के अस्वास्थ्यकर माहौल में निकाला जाकर पेंट इंडस्ट्रीयों में सप्लाय कर दिया जाता है । इसे इसी रुप में ग्रहण करने पर शरीर को इसके पूरे लाभ मिलना तो दूर इसमें मौजूद गंदगी व वसा जैसे पदार्थों के कारण इसके वास्तविक लाभों से भी वंचित रह जाना पडता है, और फिर 10-5 ग्राम तेल नित्य लेने पर शरीर को इसके नगण्य से लाभ ही मिल पाते हैं । 

            वर्तमान समय में 'वेस्टीज' नामक कं. ने अपने आधुनिकतम वैज्ञानिक संयत्रों में इसके तेल की गुणवत्ता को अधिकतम शुद्ध रुप में आत्मसात करके इसकी ओमेगा 3 की मात्रा को लगभग 65% सुरक्षित रखते हुए इसे जेल केप्सूल के रुप में मानव समुदाय के लिये इस प्रकार से निर्मित किया है कि सिर्फ दो केप्सूल सामान्य शारीरिक स्वास्थ्य को बरकरार रखने हेतु अथवा तीन केप्सूल रक्त नलिकाओं में ब्लॉकेज की समस्या वाले रोगियों के लिये यदि तीन माह भी आवश्यकतानुसार लगातार ले लिये जावें तो एंजियोप्लास्टी अथवा बायपास सर्जरी की लाखों रुपये खर्चीली त्रासद स्थिति से न सिर्फ रोगग्रस्त व्यक्ति को बल्कि उसके पूरे परिवार को यह फ्लेक्स ऑईल जेल केप्सूल बाहर निकाल लाने में अपनी पावरफूल सक्षमता साबित कर देते हैं. कैसे  ?
  
             प्रायः रक्त नलिकाओं में घी-तेल में तले जाने वाले मीठे व्यंजन व मसालों से भरपूर वसा व चिकनाईयुक्त आहार के सेवन करने, चौतरफा प्रदूषणयुक्त वातावरण में पेस्टीसाईड व केमिकलयुक्त खाद-बीज व गंदे नाले के पानी में सिंचित सब्जियों के जाने-अनजाने अपने दैनिक आहार में उपयोग में आने जैसे खानपान से व सडकों पर प्रदूषण फैलाती घासलेट, डीजल व पेट्रोल चलित गाडियाों का विषैला धुँआ हमारे शरीर की रक्त नलिकाओं में घातक रुकावट का कारण बनते हुए बेड कोलेस्ट्राल के रुप में जमा होता रहता है और जो ह्रदय में रक्त की पंपिंग प्रक्रिया को निरंतर बढते क्रम में बाधित करता है । इसका सर्वाधिक दुष्प्रभाव हमारे दिल की उन नलिकाओं पर पडता है जहाँ से खून शुद्ध होकर पुनः पूरे  शरीर में परिभ्रमण करते हुए हमारे स्वस्थ जीवन का आधार बनता है । जब वहाँ रक्त-नलिकाओं में निरन्तर बढते क्रम में यह अशुद्धि लगभग जाम जैसी स्थिति बना देती है तब रोगी व्यक्ति का जीवन बचाने हेतु ये खर्चीले आपरेशन ही एकमात्र सहारे के रुप में नजर आते हैं ।
      
             ये प्लेक्स ऑईल केप्सूल कैसे काम करता है  ?
  
             रक्त में जमा कोलेस्ट्राल की स्थिति कमोबेश थर्मोकोल जैसी होती है । किसी भी इलेक्ट्रकल या मिलते-जुलते उत्पाद को जब आप खरीदकर अपने घर लाते हैं तो वह थर्माकोल की पैकिंग में ही आता है । यह थर्माकोल कभी भी नष्ट नहीं होता । आप इसे जलाएंगे तो और अधिक घातक कार्बन उत्सर्जन की प्रक्रिया द्वारा आपके आसपास के वायुमंडल को यह प्रदूषित कर देगा । इसे जमीन में यदि गाड देंगे तो पचास वर्ष बाद भी यह वैसा का वैसा ही वापस निकलेगा । लेकिन यदि इस फ्लेक्स ऑईल केप्सूल में आप इसे डालेंगें तो देखते ही देखते यह थर्माकोल गायब हो जावेगा, जबकि सिर्फ अलसी के तेल में आप इस थर्माकोल को डालेंगे तब यह वैसा का वैसा ही मौजूद रहेगा । 
 
                समस्याओं के प्राथमिक चरण में जब हमें सांस लेने में कम या ज्यादा दिक्कत, चढाव चढने में हाँफनी, कमजोरी, चक्कर आना, सामान्य से अधिक पसीना, बैचेनी व पेट से उपर के भाग में कहीं भी और प्रायः सीने या छाती में बांयी ओर दर्द का अहसास होने लगे तो यह तय मानना चाहिये कि आने वाले किसी भी कल में हमारे समक्ष भी यह खर्चीले ऑपरेशन सहित दुरुह और कष्टसाध्य स्थिति कभी भी बन सकती है । 

            वैसे भी वे शारीरिक कोशिकाएँ जिनकी उत्पत्ति व विखंडन का क्रम हमारे शरीर के गर्भधारण की प्रक्रिया के साथ प्रारम्भ हो जाता है और जो हमारे 5 से 6 फीट के शरीर में अरबों-खरबों की मात्रा में मौजूद रहते हैं उनका गणित यह रहता है कि आज हम जिस भी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं शरीर में उसकी उत्पत्ति का क्रम करीब 12 वर्ष पहले शुरु हो चुका होता है और उन कोशिकाओं को ही स्वस्थ करने व रखने के आधुनिक वैज्ञानिक फार्मूले पर यह कंपनी काम कर रही है । 

            जब भी आप ये फ्लेक्स ऑईल केप्सूल लेते हैं तो इसके गुणों से आपके शरीर में मौजूद जमी हुई वसा को पिघलाकर कुछ शरीर की पौष्टिकता में वृद्धि करने के उपयोग में और शेष अनावश्यक को मल-मूत्र द्वारा शरीर से बाहर निकलवाकर अपनी फेट (मोटापे अथवा बढे हुए वजन) के निदान के साथ ही  घुटनों व अन्य जोडों की बढती उम्र में घटती रहने वाली चिकनाई को व्यवस्थित रखने का एक और अन्य उपयोग शरीर को दिलवाते हैं जिसके कारण शरीर या तो जोडों के दर्द से बचा रहता है या यदि ये समस्या हो तो उसका उपचार भी इसकी मदद से स्वमेव होता रहता है ।

           
अतः उपरोक्त किसी भी ऐसी दुसाध्य स्थिति से बचाव के क्रम में शुद्ध प्राकृतिक अलसी के अधिकतम गुणों को स्वयं में संजोये रखने वाले ये फ्लेक्स ऑईल केप्सूल हम निरापद रुप से शारीरिक स्वास्थ्य का अदृश्य बीमा मानते हुए समय-समय पर लेते रह सकते हैं और अपने शरीर का इन विपत्तियों से बचाव करते रह सकते हैं ।


SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी अमल्य प्रतिक्रियाओं के लिये धन्यवाद...

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...